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महाराष्ट्र में सियासी भूचाल के बाद से बीजेपी का ऑपरेशन लोटस एक बार फिर चर्चा में आ गया है। यहां शिवसेना के मंत्री एकनाथ शिंदे बगावत पर उतर आए हैं। गुवाहाटी में कई विधायकों के साथ डेरा जमाए हुए हैं। महाराष्ट्र में ऑपरेशन लोटस शुरू किया गया है या नहीं ये चर्चा का विषय है। मगर बिहार में भी इस बात की चर्चा होनी शुरू हो गई है। देखना ये कि बीजेपी का मगध फतेह कैसे होता है।
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बीजेपी के नेता इस सवाल पर सामने से कोई चर्चा नहीं चाहते हैं लेकिन पार्टी दफ्तर में चर्चा जरूर होती है। बीजेपी की मंशा अपने मुख्यमंत्री को बिहार की सत्ता पर काबिज करने की है। जो समय-समय पर देखी भी गई है। इस बात चर्चा खुले तौर पर होती है कि जेडीयू के पास 45 विधायक हैं और बीजेपी के पास इस वक्त 77 विधानसभा हैं। मगर बीजेपी की मंशा यहां साफ है। वह फिलहाल पार्टी नहीं तोड़ना चाहती है। इसके पीछे भी वजह है। बीजेपी मानती है कि पार्टी को तोड़ना बीजेपी के लिए नुकसानदायक सौदा होगा। लिहाजा बिहार में ‘ऑपरेशन लोटस’ पंच वर्षीय योजना की तरह लागू किया जा रहा है। विरोधी भी मानते हैं कि बीजेपी की स्टैटजी साफ है और आक्रामक भी।
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बीजेपी को नीतीश कुमार के वोटरों से बैर नहीं
दरअसल, बीजेपी नीतीश कुमार से बैर नहीं चाहती है। उनसे बैर का मतलब सीधे-सीधे उनके लव-कुश वोटबैंक को नाराज कर देना है। बिहार में लवकुश वोटर विधानसभा की करीब 40 सीटों पर निर्णायक कंडीशन बनाने की स्थिति में हैं। जेडीयू के साथ कुछ पिछड़े कुछ अति-पिछड़े हैं और थोड़े बहुत मुस्लिम वोटर भी। जिनकी बदौलत सरकार सत्ता में है। ये वोटर विधानसभा में सीटों की संख्या बहुतमत के जादुई आंकड़े तक ले जाने में मददगार साबित होते हैं। वहीं, बीजेपी को पता है कि गठबंधन से ही वो सरकार में हैं। वर्ना उन्हें सीटों का नुकसान होगा। लिहाजा बिहार में बीजेपी का ऑपरेशन लोटस 2024 के बाद लागू किया जाएगा। 2024 से पहले बिहार में ‘ऑपरेशन लोटस’ की कूटनीति और रणनीतिक जमीन तैयार की जा रही है। माहौल बनाया जा रहा है। आगामी बिहार विधानसभा चुनाव तक बीजेपी नीतीश कुमार के चेहरे को लेकर ही आगे बढ़ेगी। वजह साफ है नीतीश कुमार बिहार के विकास का चेहरा हैं। वहीं 2024-25 तक नीतीश कुमार की उम्र भी 75 साल हो जाएगी। नीतीश कुमार भी आराम चाहेंगे। बीजेपी बदले में उन्हें किसी प्रदेश का राज्यपाल बनाएगी। बदले में जेडीयू-बीजेपी गठबंधन के साथ बिहार में ‘ऑपरेशन लोटस’ को लागू कर देगी। अगले 3 साल बाद बीजेपी के पास एक वाजिब तर्क होगा। वोटरों के बीच भी संदेश साफ होगा कि ज्यादा सीटों के साथ बीजेपी ने 5 साल तक बिहार का नेतृत्व नीतीश के हाथों दिया अगले पांच साल में वो जेडीयू का साथ चाहती है। ऐसे में वोटर भी इंटैक्ट रहेंगे।
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2020 में ही बीजेपी ने शुरू कर दिया था अपना मिशन
कांग्रेस के एक नेता का कहना है कि बिहार में बीजेपी की रणनीति साफ नजर आ रही है। यहां महाराष्ट्र जैसी स्थिति नहीं है। चुकी कांग्रेस बिहार में बहुत कमजोर है। ऐसे में बिहार का शक्ति संतुलन बिगड़ गया है। कांग्रेस को कमजोर करने के पीछे भी बीजेपी की कूटनीतिक चाल है। लेकिन वो नीतीश कुमार से सीधे टकराकर अपना नुकसान नहीं करना चाहेगी। हालांकि बिहार में ऑपरेशन लोटस 2020 विधानसभा चुनाव से ही शुरू हो गया था। बिहार की राजनीति पर नजर रखने वालों की मानी जाए तो बीजेपी ऑपरेशन लोटस को सफल बनाने के लिए मौके की तलाश में है। माना जा रहा है कि आरसीपी सिंह के जरिए ये कोशिश की जा चुकी है। जिसकी सजा जेडीयू उन्हें दे रही है। इसके अलावा कई अन्य नेताओं और प्रवक्ता पर भी अनुशासनहीनता का आरोप लगाकर जेडीयू से उन्हें बाहर का रास्ता दिखाया गया। इसके पीछे जेडीयू की मंशा बीजेपी के ऑपरेशन लोटस को ही असफल करने की थी। बताते चलें कभी पार्टी के प्रवक्ता रहे अजय आलोक को भी बीजेपी का मोहरा बनने की वजह से बाहर का रास्ता दिखाया गया है। वहीं, आरसीपी सिंह की बीजेपी से बढ़ती नजदीकियों की वजह से जमीन पर लाया गया है।
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जेडीयू पर हावी है बीजेपी, केवल मौके की तलाश में
आरजेडी के एक नेता का कहना है कि बीजेपी लगातार नीतीश कुमार पर हावी होने की कोशिश कर रही है। यह विपक्षी पार्टियां भी देख रहीं हैं। उन्होंने कहा कि जहां बीजेपी की सरकार नहीं है वहां अपनी सरकार बनाने के लिए जोड़ तोड़ में लगी है। आरजेडी के नेता का कहना है कि आप महाराष्ट्र को देख ही रहे। इसके अलावा और भी राज्य हैं जहां बीजेपी की सरकार नहीं है वहां भी बीजेपी के लोग विधायकों की खरीद फोरोख्त में लगे हैं। नेता का आरोप है कि बिहार में वो जेडीयू से साथ रह कर जेडीयू को नुकसान पहुंचा रहे हैं।
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बिहार में ऑपरेशन लोटस के तहत सत्ता ही नहीं वोट भी चाहिए
कांग्रेस के एक नेता का कहना है बिहार में शक्ति संतुलन जरूरी है। उनका कहना है बिहार में सत्ता पर काबिज होने की बीजेपी की मंशा का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जेडीयू के साथ रह कर भी जेडीयू को नुकसान पहुंचा रही है। उन्होंंने कहा कि कांग्रेस इस तरह से कभी नहीं कर सकती थी। कांग्रेस नेता ने एक सवाल के जवाब ने कहा कि बिहार में ऑपरेशन लोटस धीमी प्रक्रिया के तहत चल रहा है। जिसका नतीजा मुकेश सहनी के रूप में देखने को मिला। एक झटके में पार्टी से बेदखल कर उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।
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हिंदी समाचार नवभारत टाइम्स से, टीआईएल नेटवर्क
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