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गोपालगंज. कहते हैं मारने वाला से बड़ा बचाने वाला होता है. इसलिए कहावत भी है कि ‘जाको राखे साइयां, मार सके न कोय’. अर्थात जिसके साथ ईश्वर होता है उसका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता. यही कहावत बिहार के गोपालगंज में सच साबित हुआ है, जहां एक किसान मौत के मुंह से सकुशल लौट कर आया. डुमरिया घाट पुल से गंडक नदी में गिरने के बाद साइकिल सवार किसान 12 घंटे तक नदी की तेज धारा में कभी बहता रहा तो कभी डूबता रहा, करीब 23 किलोमीटर दूर जाकर उसकी जान बची.
गंडक नदी से बाहर निकलने के बाद ग्रामीणों ने पुलिस की मदद से स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया, इसके बाद पुलिस को इसकी सूचना दी. पीड़ित किसान की पहचान बरौली थाने के रतनसराय सुरवल टोला के निवासी स्वर्गीय मुनेश्वर यादव के पुत्र 50 वर्षीय मुनीलाल यादव के रूप में की गयी है.
दोस्त से मिलने के लिए निकले थे पिपरा कोठी
मुनीलाल यादव ने बताया कि शुक्रवार की शाम में अपने मित्र से मिलने के लिए पूर्वी चंपारण जिले के पिपरा कोठी साइकिल से जा रहा था. शुक्रवार की शाम 6:30 बजे जैसे ही वे डुमरियाघाट महासेतु पर पहुंचे कि चंपारण की ओर से आ रही अनियंत्रित ट्रक ने उन्हें झटका दे दिया. ट्रक की ठोकर से मुनीलाल साइकिल सहित सत्तर फीट नीचे गंडक नदी की तेज धारा में गिर पड़े. घटना को अंजाम देने के बाद चालक ट्रक लेकर फरार हो गया. मुनी आपबीती बताते हुए फफक कर रोने लग रहे थे. इधर, उनके परिजन शुक्रवार की शाम से ही खोजबीन करने लगे थे.
जोर-जोर से चिल्लाया, किसी ने नहीं सुनी आवाज
मुन्नीलाल खुद के बचाव में चिल्लाने लगे, लेकिन देर शाम होने की वजह से उनकी आवाज सुनसान जगह पर कोई नहीं सुन पाया. मुन्नीलाल गंडक नदी में डूबते-उतराते 12 घंटे बाद बैकुंठपुर थाने के हेमूछपरा गांव के समीप नदी के किनारे जा पहुंचे. घटनास्थल से 23 किलोमीटर दूर पहुंचकर किनारा मिलने पर वे नदी से बाहर निकले.
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प्रथम प्रकाशित : 26 जून 2022, 08:03 AM IST
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