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रिपोर्ट-राजाराम मंडल
मधुबनी. जिले के राजनगर में पिछले 35 वर्षों से हनुमान जी की एक वर्षों पुरानी प्रतिमा लेटे हुए अवस्था में है. जबकि यह प्रतिमा पहले मंदिर के अंदर हुआ करती थी. दैवीय कृपा मानकर लोग अब भगवान हनुमान की उसी रूप की पूजा-आराधना करते हैं. इस प्रतिमा से जुड़ी हुई कुछ किदवंती भी है, लेकिन इसमें विश्वसनीयता का अभाव है. ऐसे में अगर आप भी राजनगर का राजमहल देखने की इच्छा रखते हैं, तो एक बार जरूर हनुमान जी की लेटी हुई प्रतिमा का दर्शन करें.
भूकंप के बाद मंदिर के अंदर से बाहर आ गई प्रतिमा
राजनगर के रहने वाले सुधांशु झा का कहना है कि जब साल 1988 में बिहार में भूकंप आया था, तो उसमें भारी तबाही मची थी. उसी भूकंप के झटके में राजनगर के लगभग सभी महल गिर गए, तो कुछ में दरार भी पड़ गई. हनुमान जी की प्रतिमा के साथ क्या घटना हुई यह तो कोई नहीं जानता है, लेकिन माना जाता है कि आश्चर्यजनक घटना यह कि हनुमान जी की जो प्रतिमा मंदिर के अंदर थी, वह भूकंप के बाद बाहर में लेटे हुई थी. उसके बाद से पिछले 35 वर्षों से प्रतिमा उसी तरह से लेटी हुई है.
पुजारी ने बनवाया चबूतरा
कहा जाता है कि इस मंदिर में वर्षों से पूजा करने वाले पुजारी जामुन बाबा ने एक दिन देखा कि भगवान हनुमान की प्रतिमा जमीन पर लेटी हुई है. इसके बाद उन्होंनेहनुमान जी के लिए चबूतरे का इंतजाम किया. जिसके बाद अब हनुमान जी उसी चबूतरे पर वर्षों से लेटे हुए हैं. इस अनोखे मंदिर का और हनुमान जी का दर्शन करने दूर-दूर से लोग आते हैं. ऐसा माना जाता है कि भगवान हनुमान यहां आने वाले सभी लोगों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं, जो भी सच्चे दिल से यहां पूजा करते हैं.
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पहले प्रकाशित : 12 अप्रैल, 2023, शाम 6:40 बजे IST
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