Home Bihar OMG: यहां इंसान ही नहीं सांप भी जी रहे हैं अलाव के सहारे, ये बने मसीहा

OMG: यहां इंसान ही नहीं सांप भी जी रहे हैं अलाव के सहारे, ये बने मसीहा

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OMG: यहां इंसान ही नहीं सांप भी जी रहे हैं अलाव के सहारे, ये बने मसीहा

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रिपोर्ट – अभिषेक रंजन

मुजफ्फरपुर. कड़ाके की ठंड से आम लोगों को परेशान होते हुए तो आपने खूब सुना होगा. आज हम आपको बताएंगे कि कड़ाके की ठंड से आमजन ही नहीं, जंगली जानवरों के अलावा जहरीले सांप भी परेशान होते हैं. यूं कहें कि यह ठंड उनके लिए जानलेवा भी साबित होती है. इन दिनों बिहार के विभिन्न इलाकों में कड़ाके की ठंड पड़ रही है, तो मुजफ्फरपुर इलाके में लगातार जहरीले नाग की मौत की खबरें भी आने लगी है. यह देखते हुए सर्प मित्र इन्हें बचाने के लिए अलाव का सेक लगा रहे हैं.

पकड़े गए 20 में से 5 सांप थे मरे हुए

मुजफ्फरपुर के साहेबगंज के रहने वाले सर्प मित्र बैजू कुशवाहा बताते हैं कि बीते तीन दिन में तकरीबन 20 सांप पकड़े गए, जिसमें 5 सांप मृत थे. बैजू के मुताबिक ठंड में सांप की होने वाली मौत में बहुत बढ़ोतरी हुई है. ठंड में ज्यादातर सांप बिल में छिपे हुए हैं. बैजू बताते है ठंड बढ़ने से सांप की मौत की संख्या बेहद बढ़ गई है. बैजू की मानें तो थोड़ा-बहुत धूप आने पर सांप बिल से निकल रहे तो हैं, लेकिन कई सांप मरे हुए भी पाए जा रहे हैं. सूचना मिलने पर बैजू सांप पकड़ने जाते हैं तो उन्हें कई सांप मरे हुए मिल जा रहे हैं. बैजू कहते हैं कि साहेबगंज में अभी मरने वाले सापों में ज्यादा संख्या स्पेक्टिकल कोबरा की है.

सांप के लिए जलाते  हैं अलाव

बैजू बताते हैं कि उन्होंने बीते दिनों में जितने भी सांप पकड़े हैं, उन्हे जंगल में नहीं छोड़ा है. बैजू के मुताबिक इस वक्त उन्हें जंगल में छोड़ने से ठंड के कारण उनकी मौत हो सकती है. इसलिए ठंड से बचाने के लिए सांपों को डिब्बे में बंद कर उसके पास में आग जलाते हैं, ताकि आग की गर्मी सांप को लग सके. बैजू के मुताबिक ऐसे मौसम में सांप को किसी भी माध्यम से गर्मी देना बेहद जरूरी है. मालूम हो कि भारत में नाग लगभग सभी इलाकों में आसानी से देखने को मिलते हैं. यह एशिया के उन चार सांपों में से एक है, जिनके काटने से अधिक लोग मरते हैं. भारतीय नाग में सिनेप्टिक न्यूरोटॉक्सिन (synaptic neurotoxin) और कार्डिओटोक्सिन (cardiotoxin) नामक घातक विष होता है. एक वयस्क नाग की लंबाई 1 मीटर से 1.5 मीटर (3.3 से 4.9 फीट) तक हो सकती है, जबकि श्रीलंका की कुछ प्रजातियां लगभग 2.1 मीटर से 2.2 मीटर (6.9 से 7.9 फीट) तक हो जाती हैं.

टैग: बिहार के समाचार, Muzaffarpur news

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