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पूर्णिया. बिहार के पूर्णिया जिले में एक ऐसा गांव है जहां पहुंचने के लिए लोगों को एक नदी पार करनी पड़ती है. इस नदी पर कोई पुल नहीं है. ड्रम वाली जुगाड़ू नाव है जिस पर सवार होकर लोग नदी पार करते हैं. अगर कोई नदी के दूसरे छोर से गांव में आ रहा होता है तो उसे तेज आवाज लगानी पड़ती है ताकि गांव का कोई व्यक्ति उस नाव दूसरे किनारे ले आए.
ये कहानी पूर्णिया जिले के डगरूआ पंचायत के चापी का संभंगा गांव के वार्ड नं 15 की है. यहां के ग्रामीणों की जीवन शैली और परेशानी यहां के गांव वालों की जुबानी सुनिए. इस गांव में कई तरह के समस्याएं अब भी बरकरार हैं. जिससे इस गांव के लोग जूझ रहे हैं.
ग्रामीण बताते हैं कि यहां लगभग 1000 लोगों की आबादी है. शहर जाने के लिए सोचना पड़ता है क्योंकि गांव और शहर के बीच में नदी है. बच्चों को शिक्षा, युवाओं काम और बीमारों को अस्पताल जाने के लिए सीधा कोई व्यवस्था नहीं है. नदी में पूरा साल पानी का जमाव रहता है.
ग्रामीण बताते हैं कि अगर किसी को अस्पताल की जरूरत पड़ जाए उन्हें भी टांग कर हाथों पर ले जाना पड़ता है. राजकुमार यादव बताते हैं कि इस नदी में सालों भर पानी रहता है. इसमें काफी पानी रहता है. सरकार के द्वारा ना तो केवल और ना ही नाव की व्यवस्था है. ग्रामीणों द्वारा ही एक बार इसी नदी से होकर लोहे की ड्रम की नाव जा रही थी तो उसे ही पकड़कर रख लिया. उसी नाव के सहारे ग्रामीण आवागमन करते हैं. साथ ही गर्भवती को अस्पताल ले जाना हुआ तो समझिए क्या परेशानियां होती है. छोटे बच्चों को स्कूल जाने में भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.
गर्भवती को बाहर ही रहना पड़ता है
छात्रा पार्वती कुमारी बताती हैं कि स्कूल जाने में भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. नदी में पानी रहने के कारण वह स्कूल नहीं जा पाती हैं.
ग्रामीण महिला बताती है कि अगर कोई डिलीवरी की मरीज होती है तो डिलीवरी नहीं हो पाती है. उसको या तो मायके या तो ससुराल में रहना पड़ता है. डॉक्टर भी नहीं आते हैं. वो ये कहता हैं कि नदी है, वहां कौन जाएगा. इस गांव में शादी ब्याह के लिए लड़का लड़की को उस पार जाना पड़ता है.
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प्रथम प्रकाशित : 02 जनवरी, 2023, 14:10 IST
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