Home Bihar OMG! नाव नहीं तो शादी नहीं…यहां दूल्हे को दहेज में दी जाती है नाव, जानिए क्यों? – boat gift in marriages these villages of bihar purnia – News18 हिंदी

OMG! नाव नहीं तो शादी नहीं…यहां दूल्हे को दहेज में दी जाती है नाव, जानिए क्यों? – boat gift in marriages these villages of bihar purnia – News18 हिंदी

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OMG! नाव नहीं तो शादी नहीं…यहां दूल्हे को दहेज में दी जाती है नाव, जानिए क्यों? – boat gift in marriages these villages of bihar purnia – News18 हिंदी

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रिपोर्ट- विक्रम झा

पूर्णिया. आमतौर पर शादी के समय उपहार में दूल्हे को बाइक या कार देते हुए आपने देखा और सुना होगा. लेकिन बिहार और पश्चिम बंगाल के मालदा बॉर्डर पर बेस कटिहार जिला का अहमदाबाद एक ऐसा प्रखंड है, जहां के 14 गांव में जब शादी होती है तो लड़की वाले अपने दामाद को उपहार में नाव देते हैं.

यह ऐसी स्थिति होती है जबकि लड़की वाले को दूल्हा बहुत ही ज्यादा पसंद होता है. अन्यथा शादी नहीं भी होती है.

आपके शहर से (पूर्णिया)

जी हां! गंगा और महानंदा के कहर से यहां हर साल 4 माह बाढ़ की तबाही मचती है. ऐसे दिनों में अगर दुल्हन या उसके ससुराल में कोई बीमार हो जाए, तो नाव ही एकमात्र सहारा होता है और कोई भी बेटी वाले यह नहीं चाहते हैं कि ऐसी स्थिति में उनकी बेटी को इलाज के लिए ले जाने को घर में एक नाव भी न हो या फिर दूसरे से नाव मांग कर जाना पड़े.

नाव देखकर बेटी का रिश्ता तय करते हैं लोग
यहां के दुर्गापुर पंचायत के मुखिया गोपाल प्रसाद सिंह कहते हैं कि गंगा और महानंदा दोनों नदी इस प्रखंड से होकर गुजरती है. ये दोनों नदियां जब चार माह बाढ़ और कटाव लेकर आती हैं तो यहां के 14 ऐसे गांव हैं, जहां के लोगों की जिंदगी नाव पर सिमट जाती है. इन गांवों के लोगों की जिंदगी में नाव का महत्व इतना है कि हर परिवार को अपना-अपना नाव रखना होता है.

गांव के दूल्हे के लिए जब भी लड़की वाले रिश्ता लेकर आते हैं, तो वे पहले यह पता लगाते हैं कि जहां वे अपनी बेटी का रिश्ता करना चाहते हैं, वहां नाव है या नहीं. अगर नाव नहीं रहती है तो वे अपनी बेटी का रिश्ता नहीं करते हैं. हां, अगर इन गांव का कोई लड़का, लड़की के परिजनों को खूब पसंद आ जाता है और वे इस रिश्ते को किसी भी तरह से करना ही चाहते हैं तो उपहार के रूप में नाव‌ दे देते हैं.

नाव नहीं रहने पर टूट जाता है रिश्ता
ग्रामीण बताते हैं कि नाव नहीं रहने के कारण कई बार रिश्ता भी टूट जाता है. मेघु टोला गांव के भोला सिंह के यहां भी लड़की वालों ने नाव नहीं रहने के कारण रिश्ता ठुकरा दिया था. दरअसल, भोला सिंह के पोते की शादी का रिश्ता कटिहार जिले के मनसाही प्रखंड के बंगुरी टाल गांव से आया था. लड़की के परिजनों को पता चला कि भोला सिंह को नाव नहीं है, तो वे लोग शादी नहीं किए. जबकि भगवान टोला के रतन सिंह का बेटा लड़की वालों को खूब पसंद था. लेकिन रतन सिंह के पास अपनी नाव नहीं थी. इसके बाद लड़की वालों ने उपहार में नाव दी.

बाढ़ से प्रभावित रहती हैं अहमदाबाद के 6 पंचायत
अमदाबाद प्रखंड की 6 पंचायत के 14 गांव हर साल बाढ़ से प्रभावित रहते हैं. इस दौरान सड़कें डूब जाती हैं. घर से निकलने के लिए नाव ही एकमात्र सहारा होता है. सबसे ज्यादा परेशानी बीमार होने की स्थिति में अस्पताल जाने के दौरान होती है. यहां के पार दियारा, चौकिया पहाड़पुर, भवानीपुर खट्टी, दक्षिणी करीमुल्ला, उत्तरी करी मुल्लापुर व दुर्गापुर पंचायत के हरदेव टोला, चौक चामा, भगवान टोला, घीसु टोला, मेघु टोला, लक्खी टोला, नया टोला गोविंदपुर, गदाई दियारा, गोपी टोला, गोविंदपुर बाहर साल, भारत टोला, कीर्ति टोला, घेरा गांव, मुरली राम टोला बाढ़ और कटाव से हर साल प्रभावित होता है.

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