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महमूद आलम
नालंदा. क्या आपने हाथी और जूते पहने हुए देखा या सुना है? आप इस पर विश्वास नहीं करेंगे. सवाल पूछने वाले पर शायद आप भड़क जाएंगे. बात कल्पना से परे है, लेकिन यह सच है. सड़कों पर घूमने वाले गजराज के पैरों में जल्द जूते दिखेंगे. इसे पहनकर जब धरती का सबसे बड़ा जानवर चलेगा तो उसके पांवों में न कंकड़-पत्थर चुभेगा, और न भीषण गर्मी में पक्की सड़कों पर उसके पांव जलेंगे. हाथियों के लिए जूते बनवाने का यह ख्याल बिहार के गया के अख्तर इमाम के जेहन में आई. वो चार हाथियों के मालिक हैं. भीषण गर्मी में नंगे पांव चलने पर हाथी को होने वाली पीड़ा को उन्होंने महसूस किया और तय किया कि वो उनके लिए ऐसा उपाय करेंगे जिससे गजराज के पैरों को आराम मिले.
एरावत ट्रस्ट के अध्यक्ष अख्तर इमाम हाथी विशेषज्ञ भी हैं. उन्होंने बताया कि पक्की सड़कों पर चलने में हाथी को परेशानी होती है. इसके लिए जूता बनवाने की दिशा में उन्होंने पहल किया. वो कहते हैं कि उनकी देखरेख में वैसे तो कई हाथी हैं, लेकिन मोती, रागिनी और बेटी तीनों मेरे काफी करीब हैं. बेटी नामक हाथी अभी बोधगया में है. यह कम उम्र की हथिनी है. उन्होंने कहा कि मोती और रागिनी के पैर के नाप का जूता बनकर तैयार है. जबकि बेटी के पैरों का माप ले लिया गया है. उसके लिए भी जूता बनाया जा रहा है. चमड़े से बने एक जोड़े जूते का वजन लगभग 10 किलोग्राम है.
आपके शहर से (नालंदा)
उन्होंने नालंदा के बिहारशरीफ के प्रसिद्ध चमड़ा मंडी मोरातलाब के मोची अनिरूद्ध हाथियों के लिए जूते बनाने का जिम्मा सौंपा है. कारीगर ने इसमें सबसे पहले हाथी के पैरों का नाप लिया, फिर उसके लिए जूता बनाने का काम शुरू किया.
12 हजार रुपये में बना एक सेट जूता
मोची अनिरूद्ध डेढ़ साल से झारखंड में बैंकर के तौर पर कार्यरत हैं. बिहारशरीफ में उनसे बुज़ुर्ग पिता और छोटा भाई दुकान पर इस पेशे से जुड़े हैं. अनिरूद्ध ने बताया कि हाथी के मुफीद एक सेट जूते बनाने में कम से कम 12 हजार रुपए का खर्च आया है.
उन्होंने बताया कि हाथी के लिए जूते बनाने का प्रस्ताव मिलने पर पहले पहल वो चौंक गये थे, लेकिन अंततः उन्होंने इस प्लान पर काम करने का निर्णय किया. अनिरूद्ध बताते हैं कि हाथी के लिए जूते का सोल मजबूत होना चाहिए. यह भांपकर टायर काट कर सोल बनाया गया है. हाथी के लिए जूते का आकार ऐसा है कि उसके पैर खुले-खुले भी रहें. इसलिए, सैंडल की तरह इसमें फीते लगाए गए हैं, ताकि एक बार पहनाने के बाद हाथी को असहजता नहीं हो. वर्ना, परेशानी होने पर हाथी इसे तोड़ कर फेंक सकता है.
अनिरुद्ध ने उम्मीद जाहिर की कि बिहार के अन्य हिस्सों में रहने वाले हाथी प्रेमी भी उनसे जूते बनवाएंगे.
हाथी जूता बनाने में जुड़े थे सैंकड़ों परिवार
पहले यहां पर 105 कारीगर इस पेशे से परिवार का जीविकोपार्जन चलाते थे, लेकिन बढ़ती महंगाई और फोरलेन का निर्माण कार्य शुरू होने से यह अब सिमटता जा रहा है. अब इस पेश से जुड़े यहां केवल 25 से 30 दुकान चलते हैं. शेष लोग इस रोज़गार को छोड़कर रोजगार की तलाश में अन्य प्रदेशों में पलायन कर गये हैं.
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प्रथम प्रकाशित : 14 दिसंबर, 2022, 19:31 IST
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