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रिपोर्ट- सिद्धांत राज
मुंगेर: भीम बांध में बने कुछ कुंडों का पानी इतना गर्म है कि ठंड के मौसम में यहां के कुंड में डुबकी लगाकर बड़े मजे से स्नान किया जा सकता है. साथ ही यहां कुछ ऐसे भी कुंड हैं, जिनमें पानी इतना गर्म है कि इससे लोग चावल पका लेते हैं और अंडे उबाल लेते हैं. और भी कई खासियतें हैं. बिहार के अंग प्रदेश में मौजूद भीम बांध का इतिहास काफी रोचक और तथ्यपूर्ण है. मुंगेर के हवेली खड़गपुर से लगभग 25 किमी और जमुई जिला से 20 किमी की दूरी पर गंगटा के घने जंगल के बीचों बीच भीम बांध का सौंदर्य आपका इंतजार कर रहा है.
कुछ साल पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने यहां पहुंचकर इसे विकसित करने की बात कही थी. बिहार सरकार ने पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग की मदद से सैलानियों की सुविधा के लिए कई चीजें बनाई हैं. यहां के इतिहास और सुविधा को जान बड़ी संख्या में सैलानी पहुंचते हैं. इस बांध का नाम भीम बांध पड़ने के पीछे एक पौराणिक कहानी भी है.
क्यों अधूरा रह गया यह बांध?
पौराणिक कथाओं और इस गांव के लोगों का कहना है कि महाभारत काल में पांडव अज्ञातवास के दौरान यहां छिपने के लिए आए थे. तब पहाड़ी नदी पर बांध बनाने का जिम्मा भीम ने लिया था. एक ही रात में बांध बनाने की शर्त थी, लेकिन भोर होते ही जंगली मुर्गे ने बांग दे दी और बांध अधूरा ही रह गया. इस स्थल और इस जगह पर बसे गांव को भीम बांध कहा जाता है. खास बात यह है कि आज भी इस बांध से गर्म जल निकलता है. जो इस इलाके के कई कुंडों में जाकर जमा होता है.
सड़क बनने से राह हुई आसान
वन विभाग के डीएफओ गौरव ओझा ने बताया कि कुछ ही दिनों में भीम बांध में पर्यटक अच्छी तादाद में पहुंचेंगे. तैयारियों के लिहाज़ से विभाग यहां जो सामान टूट गया है या कम है, उसे जल्द ठीक या पूरा कर रहा है. डीएफओ ने बताया यहां आने के लिए पहले मुख्य सड़क कुंडा स्थान से अंदर भीम बांध मुख्य पर्यटक स्थल तक के लिए 9.5 किलोमीटर की सड़क कच्ची और खराब थी. लेकिन सरकार के पथ निर्माण विभाग ने इस बार सड़क बनाकर आवाजाही सुगम कर दी है.
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प्रथम प्रकाशित : 10 दिसंबर, 2022, 11:46 पूर्वाह्न IST
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