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मोतिहारी. खेतों में पराली जलाने से समाप्त हो रही उर्वरा शक्ति को रोकने के लिए सरकार भी अब कठोर कदम उठाते जा रही है. ऐसे किसानों को सरकारी सुविधाओं से वंचित करने के साथ-साथ अन्य कई तरह के प्रतिबंध भी लगाए जाने की चर्चा होती रहती है. ऐसे समय में मोतिहारी से 40 किलोमीटर दूर जागा पाकड़ गांव के रहनेवाले विजय कुमार ठाकुर इसी पराली और कचरे से जैविक खाद बनाकर मिसाल कायम कर रहे हैं. इस कार्य से न सिर्फ वे अपनी आमदनी बढ़ा रहे हैं, बल्कि कई लोगों को जोड़कर उन्हें रोजगार भी दे रहे हैं.
News18 Local से विजय ठाकुर ने कहा कि कई बार जब फसल अनुमान के मुताबिक नहीं होता है, तो किसान गुस्से में पराली को खेत में ही जला देते हैं. लेकिन यह उनकी नासमझी है. खेत में पराली जलाने से मिट्टी में मौजूद कई सूक्ष्म पोषक तत्त्व जो फसल के लिए महत्त्वपूर्ण होते हैं, जलकर मर जाते हैं. इससे खेत की उर्वरा शक्ति समाप्त हो जाती है. इसे रोकने के लिए अब सरकार भी बड़े पैमाने पर जागरूकता अभियान चला रही है. इसके अलावा पराली जलने से उत्पन्न होने वाले धुआं से वायु प्रदूषण भी बढ़ता है.
विजय ठाकुर बताते हैं कि लोहा और प्लास्टिक कचरे को छोड़ अन्य कचरों से वे जैविक खाद बनाते हैं. उन्होंने बताया कि खाद बनाने के लिए वे पोखर या तालाब की जलकुंभी के साथ पुआल का इस्तेमाल करते हैं. उनका बनाया खाद फूल, बागवानी वाले पौधे, धान, गेंहू, गन्ना, सब्जी आदि खेती के लिए काफी फायदेमंद हैं. इस खाद में जिंक, सल्फेट, फॉस्फोरस, पोटाश, नाइट्रोजन, कैल्शियम जैसे पोषक तत्त्व भरपूर मात्रा में होते हैं. इसकी सप्लाई वे ब्लॉक स्तर से लेकर अन्य जगहों पर करते हैं. हालांकि वे बताते हैं कि सरकार से उन्हें कुछ मदद मिले तो वे और बेहतर कर सकते हैं.
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प्रथम प्रकाशित : 15 नवंबर 2022, 20:03 IST
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