Home Bihar Millet Farming : मोटे अनाज की खेती से बदलेगी बेगूसराय के किसानों की किस्मत, रोड मैप किया गया तैयार

Millet Farming : मोटे अनाज की खेती से बदलेगी बेगूसराय के किसानों की किस्मत, रोड मैप किया गया तैयार

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Millet Farming : मोटे अनाज की खेती से बदलेगी बेगूसराय के किसानों की किस्मत, रोड मैप किया गया तैयार

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रिपोर्ट: नीरज कुमार

बेगूसराय: जो अनाज कभी गरीबों का आहार माना जाता था. आज वही अनाज अमीरों के पसंदीदा भोजन में सुमार हो गया है. मोटे अनाज को लगभग लोगों ने अपनी थाली से गायब हीं कर दिया था. वही अनाज आज लोगों के लिए जरूरत बनती जा रही है. मोटे अनाजों ने अंतराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त किया है.

मौसम अनुकूल नहीं रहने और लगतार बारिश की कमी ने जनमानस को सोचने के लिए विवश कर दिया है. मोटे अनाज की खासियत है कि कम पानी में भी अच्छी उपज हो जाती है. इसको लेकर वर्ष 2023-24 को अंतराष्ट्रीय मिलेट वर्ष के तौर पर मनाया जा रहा है और किसानों को मोटे अनाज की खेती करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है.

बिहार सरकार ने भी मोटे अनाज की खेती को बढ़ावा देने के लिए इसको बजट में शामिल किया है. मोटे अनाज की खेती को लेकर बेगूसराय जिले में भी रोडमैप तैयार किया है. तमाम फायदों को देखते हुए कृषि रोडमैप के ड्राफ्ट में मोटे अनाज को प्रोत्साहित करने का प्लान बनाया है. मोटे अनाज में ज्वार, बाजरा, जौ, कोदो, सांवा, महुआ सहित अन्य पोषक अनाजों की खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित करने का फैसला लिया गया है.

540 हेक्टेयर भूमि का हुआ है चयन
बेगूसराय के जिला कृषि पदाधिकारी डॉ. राजेंद्र कुमार ने न्यूज 18 लोकल से बातचीत करते हुए बताया कि अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष मनाया जा रहा है. ऐसे में जिले के सभी प्रखंडों को मिलाकर कुल 540 हेक्टेयर भूमि का चयन किया गया है. मोटे अनाज को दूसरी भाषा में श्री अन्न के नाम से जाना जाता है.

अगले महीने 300 हेक्टेयर में मरुआ की खेती को लेकर रोड मैप पर काम किया जा रहा है. इसका बीज भी जल्द किसानों को उपलब्ध करा दिए जाएगा. वहीं 240 हेक्टेयर में कौमी की खेती प्रस्तावित की गई है. बता दें कि मोटे अनाज में ज्वार, बाजरा, जौ, कोदो, सांवा, महुआ सहित अन्य की खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित करने का फैसला लिया गया है.

किसानों को मिलेगा सहयोग तो करेंगे खेती
बेगूसराय जिले के किसान बंगाली महतो ने बताया 1965 के आस-पास काबर बहियार में बड़े पैमाने पर मोटे अनाज की खेती होती थी, लेकिन उसके बाद बीज मिलना भी मुश्किल हो गया. जिसका सीधा असर उत्पादन पड़ पड़ा और फायदा न होता देख किसानों ने मोटे अनाज की खेती करना हीं बंद कर दिया. हालांकि विभागीय स्तर पर मदद मिले तो किसान ज्वार, बाजरा, जौ, कोदो, सांवा, महुआ सहित अन्य मोटे अनाज की खेती फिर से कर सकते हैं.

कृषि पदाधिकारी डॉ. राजेंद्र कुमार वर्मा ने बताया कि किसान इसको लेकर काफी उत्साहित हैं. इसी कड़ी में बेगूसराय के अट्ठारह प्रखंड में चिन्हित कर मिलेट का 388 पैकेट एवं कौनी के 292 पैकेट किसानों के बीच खेती करने के लिए वितरित किया गया है. कृषि पदाधिकारी ने बताया कि किसान इसलिए उत्साहित हैं कि मोटे अनाज की खेती को लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहल की जा रही है. जिसे कभी लोग नजरअंदाज करते थे, आज पर्यावरण की दृष्टिकोण से भी इसकी खेती पर पहल की जा रही है.

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