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पटना: बिहार के मंत्री आलोक मेहता के मंदिर के घंटी बजानेवाला बयान उनके गले की घंटी बन गया है। निर्दलीय विधान पार्षद महेश्वर सिंह ने कहा कि बिहार मंत्रिमंडल में ऐसे उच्च पद पर बैठे हुए व्यक्ति को किसी भी समाज पर गंदी बात करने का, कमेंट करने का कोई अधिकार नहीं है। अगर 10 परसेंट पर सवाल उठा रहे हैं तो उनको जानना चाहिए कि हम 10 परसेंट पर कैसे पहुंचे? जब युद्ध का मैदान होता था तो मोहम्मद गौरी का गोला वो नहीं सहे हैं, हम सहे हैं। अकबर का गोला वो नहीं सहे हैं, हम सहे हैं। 12 वर्ष के बच्चों को तिलक लगाकर मां भेज देती थी और जौहर कर लेती थी। हमारी संख्या इसलिए कम है। संख्या के बल पर हमको मत आंकिए।
दरअसल, भागलपुर में आलोक मेहता ने दस फीसदी आरक्षण पाने वाले को अंग्रेजों का दलाल बताया था। इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि ये लोग अंग्रेजों के जमाने में मंदिरों में घंटी बजाते थे। ऐसा माना गया कि आलोक मेहता ने उनके बारे में बयान दिया, जिनको सरकार सवर्ण गरीब के नाम पर आरक्षण देती है। हालांकि आलोक मेहता ने बाद में सफाई दी। मगर जुबान से निकली बात वापस कहां आती है। अब इसको काउंटर किया जा रहा है।
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