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उपेंद्र कुशवाहा
– फोटो : सोशल मीडिया
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बिहार में सीएम नीतिश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। दरअसल, पहले से ही सवालों के घेरे में रही नीतीश कुमार की शराबबंदी वाली नीति को लेकर उनकी ही पार्टी के नेता एकमत नहीं दिख रहे हैं। दरअसल, जदयू नेता उपेंद्र कुशवाहा ने नीतीश कुमार की शराबबंदी वाली नीति को पर सवाल खड़े किए हैं। जेडीयू संसदीय बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने बिहार में शराबबंदी को असफल करार देते हुए कहा है कि सिर्फ सरकार के कह देने मात्र से शराबबंदी सफल नहीं हो जाती। उनका यह बयान सीएम नीतीश को भी पसंद नहीं आया है।
उपेंद्र कुशवाहा ने दिया बयान
जानकारी के मुताबिक, उनका यह बयान बुधवार का है। वे कल यानी बुधवार को राज्य के वैशाली जिले के दौरे पर थे। इसी क्रम में वे जिले के महुआ स्थित एक गांव में पहुंचे थे। यहां मीडियाकर्मियों से वार्ता करते हुए उन्होंने शराबबंदी पर बड़ा बयान दे दिया। उनसे बिहार में शराबबंदी की सफलता के बारे में सवाल किया गया था। इसका जवाब देते हुए उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि बिहार में शराबबंदी फेल हो गई है। सिर्फ सरकार के कहने मात्र से ही शराबबंदी सफल नहीं होती।
हालांकि बाद में उन्होंने बचाव करते हुए कहा कि राज्य में शराबबंदी को सफल बनाने के लिए जनता को भी सरकार का सहयोग करना होगा। कुशवाहा ने कहा कि जब तक राज्य की जनता नहीं चाहेगी राज्य में शराबबंदी सफल नहीं हो सकती। इस दौरान उन्होंने बिहार में शराबबंदी के फायदे भी गिनाए। उन्होंने कहा कि शराबबंदी से समाज को बहुत फायदा हुआ है। शराबबंदी जितनी सफल होगी लोगों को उसका उतना फायदा होगा।
जीतनराम मांझी ने दिया था अनोखा सुझाव
गौरतलब है कि ये पहली बार नहीं है जब जदयू या महागठबंधन सरकार के किसी नेता ने शराबबंदी को लेकर बयानबाजी की हो। हाल ही में महागठबंधन सरकार में जदयू के साथी साथी हिंदुस्तान आवाम मोर्चा (हम) के चीफ जीतनराम मांझी ने भी इस मुद्दे पर बड़ा बयान दिया था। उन्होंने सीएम नीतीश कुमार से कहा कि वे राज्य में पूर्ण शराबबंदी पर पुनर्विचार करें। मांझी ने क्वार्टर पीने वालों को नहीं पकड़ने की सलाह दी है। यह भी कहा कि शराबबंदी को लेकर बिहार व गुजरात में एक जैसा हाल है।
उन्होंने बिहार में शराबबंदी को लेकर कहा कि वे शराबबंदी के पक्ष में हैं, लेकिन इसे सही ढंग से लागू किया जाना चाहिए। मौजूदा नीति का हाल यह है कि अवैध शराब पीने के आरोप में बड़ी संख्या में गरीब लोग जेलों में बंद हैं और शराब तस्कर आराम से घूम रहे हैं। गुजरात में भी यही हाल है। मांझी ने कहा कि बिहार में शराबंबदी की वजह से जेलें भर गई हैं। नीतीश सरकार को शराबबंदी नीति की समीक्षा करनी चाहिए। शराब का एक क्वार्टर (पव्वा) शराब पीने वालों को नहीं पकड़ना चाहिए।
पूर्व सीएम मांझी ने बिहार में शराबबंदी कानून की समीक्षा की मांग करते हुए कहा कि पुलिस शराबियों की पहचान करने वाली ब्रिथ एनेलाइजर मशीन भी गलत बता देती हैं। राज्य की जेलों में अवैध शराब से जुड़े मामलों में 70 फीसदी लोग ऐसे हैं, जो सिर्फ 500 एमएल (अध्धा) या 250 एमएल (पव्वा) पीते हुए पकड़े गए हैं। जो 125 या 250 एमएल (एक क्वार्टर) शराब पीते हैं, उन्हें जेलों में नहीं डाला जाना चाहिए।
नीतीश ने दिए शराब पीने वालों को नहीं, बेचने वालों को पकड़ने के निर्देश
मांझी का यह बयान ऐसे वक्त आया था, जबकि बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने दो दिन पहले ही शराबबंदी को लेकर समीक्षा बैठक की थी। उन्होंने निर्देश दिए कि वे शराब पीने वालों को पकड़ने के बजाय बेचने वालों व तस्करों को दबोचें। हालांकि, उन्होंने शराब पीने वालों को बख्शने की बात नहीं कही हैं, लेकिन उन पर शिकंजा कमजोर हो सकता है। इसके साथ ही नीतीश कुमार ने यह भी संकेत दिया कि वह शराबबंदी नीति में कोई ढील नहीं देने वाली है।
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