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Lakhisarai News: खरमास में क्यों नहीं होता है मांगलिक कार्य, अशोक धाम के पुजारी ने बताया इसके पीछे का कारण

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Lakhisarai News: खरमास में क्यों नहीं होता है मांगलिक कार्य, अशोक धाम के पुजारी ने बताया इसके पीछे का कारण

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रिपोर्ट – अविनाश सिंह
लखीसराय: हिंदू पंचांग के मुताबिक खरमास वर्ष में दो बार लगता हैं. पहला मार्च या अप्रैल माह में लगता है जबकि दूसरा नवंबर या दिसंबर माह में लगता है. ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक सूर्य जब मीन या धनु राशि में प्रवेश करते हैं तब खरमास का आरंभ हो जाता है. खरमास की अवधि पूरे एक माह की होती है. हिंदू धर्म के मुताबिक इस दौरान किसी तरह के मांगलिक कार्य पर पाबंदी रहती है. ऐसी मान्यताएं है कि इस दौरान किया गया मांगलिक कार्य कभी शुभ फल नहीं देता है. लखीसराय स्थित अशोक धाम के पंडित मोलेश्वरी पांडे ने बताया कि मार्च के 15 तारीख को सूर्य मीन राशि में प्रवेश कर चुका है और इसमें 14 अप्रैल संध्या तक रहेंगे. हिंदू पंचांग के अनुसार भगवान भास्कर जब देवगुरु बृहस्पति की राशि धनु और मीन में प्रवेश करते हैं तब तब खरमास लगता है.

खरमास में मांगलिक कार्य करना क्यों रहता है निषेध
लखीसराय स्थित अशोक धाम के पंडित मोलेश्वरी पांडे ने बताया कि शास्त्रों की मानें तो किसी भी शुभ कार्य के लिए सूर्य और बृहस्पति का ऊर्जावान होना अति आवश्यक है. उन्होंने ने बताया कि अगर दिन बलहीन और तेजहीन होंगे तो कोई मांगलिक या शुभ कार्य अच्छा फल नहीं देता है. वैसे ही खरमास के दौरान सूर्य का गोचर मीन राशि में होता है, जिससे वह अपना तेज कम कर लेते हैं क्योंकि भगवान भास्कर इस दौरान देवताओं के गुरु बृहस्पति की सेवा में लग जाते हैं. जिसके करण देवगुरु बृहस्पति भी विश्राम की मुद्रा में रहते हैं और बलहीन होते हैं. हालांकि इस दौरान भगवान विष्णु का पूजा-अर्चना काफी शुभदाई होता है और इससे शुभ फल की प्राप्ति भी होती है.

किस प्रकार के मांगलिक कार्यों का करना निषेध है और कौन से कार्यों की है छूट
लखीसराय स्थित अशोक धाम के पंडित मोलेश्वरी पांडे ने बताया कि खरमास के दौरान विवाह, सगाई, मुंडन संस्का, जनेऊ संस्कार, नए व्यापार की शुरुआत, नई नौकरी की शुरुआत, गृह प्रवेश, नए घर का नींव रखना आदि मांगलिक कार्य वर्जित रहता है. वहीं इस दौरान कान और नाक छेदन पर भी पूरी तरीके से पाबंदी है. मान्यताओं के अनुसार अगर इस दौरान विवाह ,सगाई या नए दांपत्य जीवन की शुरुआत करने की दिशा में कार्य किया जाता है तो यह काफी कष्टकारी सिद्ध होता है और दांपत्य जीवन में हमेशा बाधाएं आती रहती है. हालांकि इस दौरान वाहनों की खरीदारी और पूजा-पाठ की छूट दी गई है. इस पर किसी प्रकार का कोई अशुभ प्रभाव नहीं पड़ता है. वहीं खरमास समाप्त होने के बाद 3 मई से पुनः सहनाई गूंजेगी और लोग एक दूसरे के परिणय सूत्र में बंध पाएंगे. 3 मई से विवाह जनेऊ और मुंडन संस्कार की शुरुआत हो जायेगी. इसके बाद कुल 39 लग्न के शुभ मुहूर्त हैं. इस दौरान लोग अपने मांगलिक कार्यों को कर पाएंगे. वहीं 39 लग्नों में से 29 लग्नों को काफी शुभ माना गया है.

टैग: बिहार के समाचार, लखनऊ न्यूज

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