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न्यूज डेस्क, अमर उजाला, पटना
द्वारा प्रकाशित: सुरेंद्र जोशी
अपडेट किया गया शनि, 04 जून 2022 12:41 PM IST
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बिहार की राजधानी पटना के कुम्रहार इलाके में तालाब के जीर्णोद्धार के दौरान पुरातत्व विभाग (ASI) को खुदाई में ईंटों की 2000 साल पुरानी एक दीवार मिली है। एएसआई के अधिकारियों के अनुसार यह दीवार कुषाण काल की हो सकती है।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के पटना सर्कल की अधीक्षक गौतमी भट्टाचार्य गुरुवार शाम को खुदाई के दौरान अधिकारियों को यह दीवार नजर आई। कुमराहार इलाका पटना रेलवे स्टेशन के पूर्व में 6 किलोमीटर दूर है। इसी इलाके में पहले मौर्य साम्राज्य के अवशेष पाए गए थे। एएसआई इस संरक्षित तालाब का जीर्णोद्धार कर रही है। केंद्र के ‘मिशन अमृत सरोवर’ योजना के तहत यह कार्य किया जा रहा है। तालाब के अंदर ईंटों की दीवार मिलना बड़ी बात है। इस दीवार के पुरातत्व महत्व का एएसआई के विशेषज्ञ आकलन कर रहे हैं।
एएसआई का कहना है कि ये ईंटें कुषाणकालीन मानी जा रही हैं। कुषाण राजवंश उत्तर भारतीय उपमहाद्वीप के अधिकांश क्षेत्रों में राज करता था। भट्टाचार्य ने कहा कि कुषाण वंश ने 30 ईस्वी से लगभग 375 ईस्वी तक अफगानिस्तान और मध्य एशिया के कुछ हिस्सों पर शासन किया था, लेकिन विस्तृत विश्लेषण के बाद ही इस दीवार को लेकर कोई निष्कर्ष निकाला जा सकता है। इस दीवार को लेकर दिल्ली स्थित मुख्यालय के शीर्ष अधिकारियों को भी सूचित कर दिया है। केंद्र सरकार की ‘मिशन अमृत सरोवर’ योजना के तहत एएसआई पटना द्वारा बिहार के सभी 11 संरक्षित तालाबों का पुनरुद्धार किया जा रहा है।
कुषाण प्राचीन भारत के राजवंशों में से एक था। कुछ इतिहासकार इस वंश को चीन से आए युएझ़ी लोगों के मूल का मानते हैं। इसी वजह से सम्राट कनिष्क ने अपना नाम और राजकीय भाषा भी बैक्ट्रीयन आर्य भाषा कर ली। वे कुषाण समुदाय में सम्मिलित हुए और इस तरह पूरी तरह आर्य संस्कृति में कुषाण को आत्मसात कर आर्यावर्त में शासन करने लगे।
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