Home Bihar Interview: गायक मैथिली ठाकुर बनीं चुनाव आयोग की आइकॉन, कहा- मत स्वयं का अधिकार, किसी का जोर नहीं

Interview: गायक मैथिली ठाकुर बनीं चुनाव आयोग की आइकॉन, कहा- मत स्वयं का अधिकार, किसी का जोर नहीं

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Interview: गायक मैथिली ठाकुर बनीं चुनाव आयोग की आइकॉन, कहा- मत स्वयं का अधिकार, किसी का जोर नहीं

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लोक गायिका मैथिली ठाकुर

लोक गायिका मैथिली ठाकुर
– फोटो : सोशल मीडिया

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बिहार में मधुबनी जिले की मैथिली ठाकुर को मधुबनी में मतदाता जागरूकता अभियान करने के बाद बिहार खादी आयोग और अब चुनाव आयोग ने अपना ब्रांड एंबेसडर बनाया है। इस बावत अमर उजाला से मैथिली ठाकुर ने बात किया, जिसमें उन्होंने कहा कि मेरे लिए ये बहुत ही खुशी की बात है।

इससे पहले साल 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले मैथिली को मधुबनी जिले का ब्रांड एंबेसडर बनाया गया था। मधुबनी जिले के 47वें स्थापना दिवस कार्यक्रम में इसकी घोषणा की गई थी। आइकॉन बनने के बाद मैथिली ठाकुर ने कहा, मेरे लिए ये अत्यंत हर्ष का विषय है। मैं हमेशा अपना योगदान देने की कोशिश करते रहूंगी। आप सब का आशीर्वाद बना रहे। जानें अमर उजाला से बातचीत के दौरान उन्होंने क्या कहा…

सवाल- कैसा महसूस कर रही हैं, जब आपको इतनी बड़ी जिम्मेदारी मिली है?
जवाब- यह मेरे लिए बहुत बड़ी बात है। इससे पहले मैंने साल 2017-18 में मधुबनी जिले के लिए काम किया था। मुझे इलेक्शन कमीशन ने ब्रांड एंबेसडर बनाया था, उस समय जिस तरह से काम किया था इस बात का मुझे आइडिया है। उस समय तो बस एक जिला था, लेकिन अब तो पूरे राज्य के लिए काम करना है। उस समय सारे अनुमंडलों में जा-जाकर लोगों को जागरूक करती थी। लोगों से यह अनुरोध करती थी कि आप सभी लोग अपने मताधिकार का प्रयोग करें।

ऐसा होता है कि जिस घर के बड़े बुजुर्ग किसी एक पार्टी या किसी एक ख़ास उम्मीदवार को वोट करते हैं तो उस घर की महिलाएं भी उसी को वोट देती हैं। पहले मैंने यह सोचा कि ऐसे ही होता होगा, शायद लेकिन जब मधुबनी में मैंने चुनाव आयोग का ब्रांड एंबेसडर के तौर पर काम किया, तब महसूस हुआ कि ये सोच भी बदलने चाहिए। क्योंकि मत का अधिकार स्वयं का होता है न कि किसी और का। यह मेरा अधिकार है, लोगों को इसके बारे में मैं जागरूक जरूर करूंगी कि मतदान स्वयं का होता है, वह खुद सोचें कि हम किसे अपना जनप्रतिनिधि बनाएं, कौन हमारे समाज का विकास करने लायक है और कौन हमारे स्वस्थ समाज का विकास कर सकता है।

सवाल- उम्र के हिसाब से आपकी जिम्मेदारी उम्र से बड़ी है तो इसे आप किस तरह देखती हैं?
जवाब-
बड़े-बड़े लोगों के नाम के साथ ब्रांड एंबेसडर जुड़े होने का मतलब, मैं अपने पापा से पूछती थी कि ब्रांड एंबेसडर क्या होता है। तो पापा बताते थे कि ब्रांड एंबेसडर का मतलब  उन संबंधित कम्पनियों के प्रति जिम्मेदारियों को बखूबी निभाना होता है। उसकी इमेज को बचा के रखना होता है। इस शब्द को मैंने पहले शब्दों में सुना था, लेकिन उसे बखूबी निभाना काफी उत्साहवर्धक रहेगा, कुछ सीखने को मिलेगा।

सवाल- आप बिहार राज्य खादी ग्राम उद्योग बोर्ड की भी ब्रांड एंबेसडर हैं तो ऐसे में खादी ग्राम उद्योग के लिए क्या कुछ करना होता है और इसमें आप क्या कर रही हैं?
जवाब-
अब तक हमने यही देखा है कि परिवार के बड़े सदस्य, जैसे पिता जी, दादा जी वगैरह खादी के कुर्ते पहनते हैं। हम लोगों ने खादी को एक अलग वर्ग में रख दिया है, जबकि अब समय के साथ-साथ खादी का लगातार विस्तार किया जा रहा है। हर उम्र के लोग अब खादी को पहनने लगे हैं, पसंद भी कर रहे हैं। मैं खुद साड़ी पहनना पसंद करती हूं और पहनती भी हूं। मैं चाहती हूं कि लोग वहीं तक सीमित न रहें, क्योंकि हम लोग के उम्र के भी लोग खादी पहनें।

मैं कई बार पटना गई हूं, क्योंकि मैं खादी के साथ-साथ बिहार हस्तशिल्प की भी एंबेसडर हूं। छोटे-छोटे गांव के कई महिला पुरुष इस काम में लगे हुए हैं तो मैं यह सोचती हूं कि इनकी आय को बढ़ाने के लिए ऐसा क्या कुछ किया जाए, जिससे हस्तशिल्प के विकास के साथ साथ इनके रोजगार को भी नया आयाम मिले और बिहार का नाम आगे बढ़े।

विस्तार

बिहार में मधुबनी जिले की मैथिली ठाकुर को मधुबनी में मतदाता जागरूकता अभियान करने के बाद बिहार खादी आयोग और अब चुनाव आयोग ने अपना ब्रांड एंबेसडर बनाया है। इस बावत अमर उजाला से मैथिली ठाकुर ने बात किया, जिसमें उन्होंने कहा कि मेरे लिए ये बहुत ही खुशी की बात है।

इससे पहले साल 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले मैथिली को मधुबनी जिले का ब्रांड एंबेसडर बनाया गया था। मधुबनी जिले के 47वें स्थापना दिवस कार्यक्रम में इसकी घोषणा की गई थी। आइकॉन बनने के बाद मैथिली ठाकुर ने कहा, मेरे लिए ये अत्यंत हर्ष का विषय है। मैं हमेशा अपना योगदान देने की कोशिश करते रहूंगी। आप सब का आशीर्वाद बना रहे। जानें अमर उजाला से बातचीत के दौरान उन्होंने क्या कहा…

सवाल- कैसा महसूस कर रही हैं, जब आपको इतनी बड़ी जिम्मेदारी मिली है?

जवाब- यह मेरे लिए बहुत बड़ी बात है। इससे पहले मैंने साल 2017-18 में मधुबनी जिले के लिए काम किया था। मुझे इलेक्शन कमीशन ने ब्रांड एंबेसडर बनाया था, उस समय जिस तरह से काम किया था इस बात का मुझे आइडिया है। उस समय तो बस एक जिला था, लेकिन अब तो पूरे राज्य के लिए काम करना है। उस समय सारे अनुमंडलों में जा-जाकर लोगों को जागरूक करती थी। लोगों से यह अनुरोध करती थी कि आप सभी लोग अपने मताधिकार का प्रयोग करें।

ऐसा होता है कि जिस घर के बड़े बुजुर्ग किसी एक पार्टी या किसी एक ख़ास उम्मीदवार को वोट करते हैं तो उस घर की महिलाएं भी उसी को वोट देती हैं। पहले मैंने यह सोचा कि ऐसे ही होता होगा, शायद लेकिन जब मधुबनी में मैंने चुनाव आयोग का ब्रांड एंबेसडर के तौर पर काम किया, तब महसूस हुआ कि ये सोच भी बदलने चाहिए। क्योंकि मत का अधिकार स्वयं का होता है न कि किसी और का। यह मेरा अधिकार है, लोगों को इसके बारे में मैं जागरूक जरूर करूंगी कि मतदान स्वयं का होता है, वह खुद सोचें कि हम किसे अपना जनप्रतिनिधि बनाएं, कौन हमारे समाज का विकास करने लायक है और कौन हमारे स्वस्थ समाज का विकास कर सकता है।

सवाल- उम्र के हिसाब से आपकी जिम्मेदारी उम्र से बड़ी है तो इसे आप किस तरह देखती हैं?

जवाब-
बड़े-बड़े लोगों के नाम के साथ ब्रांड एंबेसडर जुड़े होने का मतलब, मैं अपने पापा से पूछती थी कि ब्रांड एंबेसडर क्या होता है। तो पापा बताते थे कि ब्रांड एंबेसडर का मतलब  उन संबंधित कम्पनियों के प्रति जिम्मेदारियों को बखूबी निभाना होता है। उसकी इमेज को बचा के रखना होता है। इस शब्द को मैंने पहले शब्दों में सुना था, लेकिन उसे बखूबी निभाना काफी उत्साहवर्धक रहेगा, कुछ सीखने को मिलेगा।

सवाल- आप बिहार राज्य खादी ग्राम उद्योग बोर्ड की भी ब्रांड एंबेसडर हैं तो ऐसे में खादी ग्राम उद्योग के लिए क्या कुछ करना होता है और इसमें आप क्या कर रही हैं?

जवाब-
अब तक हमने यही देखा है कि परिवार के बड़े सदस्य, जैसे पिता जी, दादा जी वगैरह खादी के कुर्ते पहनते हैं। हम लोगों ने खादी को एक अलग वर्ग में रख दिया है, जबकि अब समय के साथ-साथ खादी का लगातार विस्तार किया जा रहा है। हर उम्र के लोग अब खादी को पहनने लगे हैं, पसंद भी कर रहे हैं। मैं खुद साड़ी पहनना पसंद करती हूं और पहनती भी हूं। मैं चाहती हूं कि लोग वहीं तक सीमित न रहें, क्योंकि हम लोग के उम्र के भी लोग खादी पहनें।

मैं कई बार पटना गई हूं, क्योंकि मैं खादी के साथ-साथ बिहार हस्तशिल्प की भी एंबेसडर हूं। छोटे-छोटे गांव के कई महिला पुरुष इस काम में लगे हुए हैं तो मैं यह सोचती हूं कि इनकी आय को बढ़ाने के लिए ऐसा क्या कुछ किया जाए, जिससे हस्तशिल्प के विकास के साथ साथ इनके रोजगार को भी नया आयाम मिले और बिहार का नाम आगे बढ़े।



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