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मान्यता है कि प्राचीन काल में इसी सिकलीगढ़ धरहरा में ही भगवान नरसिंह ने अवतार लेकर राक्षस राज हिरण्यकश्यप का वध किया था। यहीं पर भक्त प्रह्लाद के पिता राक्षस राज हिरण्यकश्यप के निर्देश पर उनकी बहन होलिका ने विष्णु भक्त प्रहलाद को जलाकर मारने का प्रयास किया था। लेकिन आग में राक्षसी होलिका जलकर राख हो गई थी। इस कारण पूरे देश में होली के मौके पर होलिका दहन महोत्सव मनाया जाता है।
सिकलीगढ़ धरहरा में आज भी है एक मोटा पिलर
यहां आज भी पत्थर का काफी मोटा एक पिलर है। कहा जाता है कि इसी पिलर से भगवान नरसिंह ने अवतार लेकर हिरण्यकश्यप का वध किया था और भक्त प्रहलाद की रक्षा की थी। कोरोना के चलते पिछले 2 साल से होलिका दहन महोत्सव का आयोजन नहीं होता था। लेकिन इस बार फिर राजकीय समारोह के रूप में होलिका दहन महोत्सव मनाया जा रहा है। जिससे लोगों में काफी खुशी है।
होलिका दहन महोत्सव के दौरान भव्य आतिशबाजी भी की गई
सिकलीगढ़ धरहरा में होलिका दहन महोत्सव में हजारों की संख्या में लोग यहां पहुंचे थे। कार्यक्रम का उद्घाटन बनमनखी एसडीएम ने किया। इस मौके पर बनमनखी के विधायक व पूर्व मंत्री कृष्ण कुमार ऋषि भी मौजूद थे। होलिका दहन महोत्सव के दौरान भव्य आतिशबाजी भी की गई। फिर इस आतिशबाजी के बीच राक्षसी होलिका के विशाल पुतले को जलाया गया। इसे देखने के लिए आसपास से हजारों की संख्या में लोग सिकलीगढ़ धराहरा स्थित भक्त प्रहलाद स्थल पर पहुंचे थे। इस दौरान लोक गायिका देवी ने भी अपने सुमधुर होली के गीतों से दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया।
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