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विक्रम कुमार झा
पूर्णिया. होली की शुरुआत पूर्णिया के बनमनखी में हुई थी. इसके साक्ष्य आज भी मौजूद है. मान्यता है कि पूर्णिया जिला के बनमनखी के सिकलीगढ़ धरहरा गांव में ही भगवान विष्णु ने नरसिंह अवतार लेकर राक्षस राज हिरण्यकश्यप का वध किया था. यहीं पर भक्त प्रहलाद के पिता राक्षस राज हिरण्यकश्यप के निर्देश पर उनकी बहन होलिका ने विष्णु भक्त प्रहलाद को जलाकर मारने का प्रयास किया था. लेकिन, आग में राक्षसी होलिका ही जलकर खाक हो गई थी. इस कारण पूरे देश में तब से होली के मौके पर होलिका दहन महोत्सव मनाया जाता है.
पूर्णिया जिले से ही प्राचीन काल में होली की हुई थी शुरुआत
पंडित दयानाथ मिश्र कहते हैं कि ऐसी मान्यता है कि बिहार के पूर्णिया जिले के बनमनखी के धरहरा गांव में पहली होली खेली गई थी. ऐसा कहा जाता हैं कि भक्त प्रह्लाद को बचाने के लिए इसी जगह भगवान विष्णु ने नरसिंह अवतार लेकर हिरण्यकश्यप का संध्या बेला में वध किया था. तभी से ही हाेली की परंपरा की शुरुआत हुई. ऐसा कहा जाता है कि होलिका दहन के दिन वहां आये श्रद्धालु राख और मिट्टी से होली जरूर खेलते हैं.
नरसिंह अवतार की आज भी निशानी
पूर्णिया के इस देवस्थल में आज भी एक मोटा सा पत्थर का स्तंभ है. लोगों का कहना हैं कि इसी पत्थर से भगवान विष्णु ने नरसिंह अवतार लिया था. नरसिंह का आधा शरीर मानव का था और आधा शरीर शेर का था. कहा जाता है कि हिरण्यकश्यप को वरदान था कि वह ना दिन में मरेंगे न रात में मरेंगे, न जमीन पर न आसमान में मरेंगे, न उन्हें देवता मार पाएंगे न ही दानव.
मान्यता के अनुसार इसी जगह भगवान नरसिंह ने अपने बड़े-बड़े नाखून से संध्या बेला में अपने घुटने पर राक्षस राज हिरण्यकश्यप का वध किया था.
पूर्णिया में 7 और 8 मार्च को मनेगी होली
पंडित जी बताते हैं कि पूर्णिया के में इस बार लोग 7 मार्च को होलिका दहन और 8 मार्च को होली मनाएंगे. साथ ही साथ उन्होंने कहा होलिका दहन के लिए शुभ समय रात्रि के 9:00 बजे से 11:00 बजे तक का होगा, जो दक्षिण दिशा में कर सकते हैं. वहीं अगले सुबह 8 मार्च को रंगोत्सव यानी होली पर्व मनाई जाएगी.
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पहले प्रकाशित : 25 फरवरी, 2023, 23:02 IST
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