Home Bihar Ground Report: आंकड़ा बन गई जिंदगी! छपरा शराबकांड के बाद सबकी जुबां पर एक ही सवाल- भाई, अब तक कितने मरे?

Ground Report: आंकड़ा बन गई जिंदगी! छपरा शराबकांड के बाद सबकी जुबां पर एक ही सवाल- भाई, अब तक कितने मरे?

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Ground Report: आंकड़ा बन गई जिंदगी! छपरा शराबकांड के बाद सबकी जुबां पर एक ही सवाल- भाई, अब तक कितने मरे?

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सारण. छपरा जिले में जहरीली शराब कांड के बाद सबकी जुबान पर बस एक ही सवाल है कि अब तक कितने लोग मरे? यहां इंसानी जिंदगी महज एक आंकड़ा बनकर रह गई है जिसे जानने के लिए हर कोई आतुर है. छपरा शराब कांड में अब तक 74 लोगों की मौत हो गई है जबकि कई लोग अभी भी जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे हैं. चाय की दुकानों पर शराब कांड की चर्चा तेज है. हर कोई अपने आंकड़े को सही बताने में जुड़ा हुआ है. अगर कोई सरकारी आंकड़े की बात करता है तो बगल में खड़े व्यक्ति उसे खरी-खोटी सुनाने लगता है और कहता है कि 100 लोगों की मौत हो गई है जबकि यह आंकड़ा हकीकत से काफी दूर है. लेकिन फिर भी लोग वर्ल्ड कप के विकेट की तरह यह जानने के लिए उत्सुक हैं कि अब तक कितने लोगों की मौत हुई.

शराबबंदी के बाद छपरा में यह अब तक का सबसे बड़ा शराब कांड है जिसमें 61 से अधिक लोगों की मौत हो गई जबकि दर्जनों लोग बीमार है. बीमार लोगों से अस्पताल में बेड कम पड़ गए तो पटना और आसपास के इलाकों में भी मरीजों को इलाज के लिए जाना पड़ा. सदर अस्पताल के सूत्रों के अनुसार अब तक 34 लोगों का पोस्टमार्टम हुआ है यानी सरकार की नजर में सिर्फ 34 मौतें ही हुई है लेकिन आम लोगों की नजर में यह आंकड़ा 100 के पार हो चुका है.

स्थानीय सांसद ने भी किया बड़ा दावा

सारण के सांसद राजीव प्रताप रूडी ने दावा किया है कि अब तक 100 से अधिक शवों का पोस्टमार्टम नहीं कराया गया है. मृतकों की संख्या डेढ़ सौ से अधिक है. वहीं इसी बीच राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने बिहार के सारण जिले में कथित तौर पर जहरीली शराब पीने से कई लोगों की मौत होने की मीडिया रिपोर्टों का शुक्रवार को स्वत: संज्ञान लिया है. पूरे देश में इस जहरीली शराबकांड चर्चा तेज है. इस घटना के बाद बिहार में शराबबंदी कानून को लेकर पूरे तौर पर सवाल भी उठने लगे हैं, यहां तक कि इसके विकल्पों पर भी विचार करने की बात हो रही है.

अफवाहों का बाजार भी गर्म

सबके पास अलग-अलग आंकड़े हैं और जिसने इलाके का दौरा भी नहीं किया वह भी आंकड़े जारी करने में पीछे नहीं है. शराब कांड के बाद अफवाहों का बाजार भी गर्म है. परिवार वालों के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे, जिनके अपने उनकी आंखों के सामने तड़प तड़प के दम तोड़ चुके हैं उनके लिए शराबबंदी किसी छलावा से कम नहीं है. फिर भी समाज में दो अलग-अलग पक्ष के बीच तर्क वितर्क का दौर जारी है जिसमें एक पक्ष इसे सही बताना बता रहा है तो दूसरा पक्ष इसे गलत करार देने के लिए तरह-तरह के तर्क दे रहा है.

टैग: बिहार के समाचार, सारण न्यूज

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