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कुंदन कुमार
गया. बिहार के गया में अब बंजर भूमि पर हरियाली लहलहाएगी. इस को लेकर जिला प्रशासन ने तैयारी शुरू कर दी है. जिले के बांकेबाजार प्रखंड क्षेत्र मे कृषि योग्य बंजर भूमि से आय प्राप्त करने के उद्देश्य से इस फसल का ट्रायल किया गया था. दोनों प्रखंडों में लेमनग्रास की खेती अपने उद्देश्य में सफल हो रही है. बाराचट्टी प्रखंड क्षेत्र का इलाका अफीम की खेती के लिए जाना जाता था, लेकिन लेमनग्रास की खेती में हो रहे फायदे को देखते हुए किसान अब लेमनग्रास की खेती की ओर दिलचस्पी दिखा रहे हैं.
गया जिले के सुदूरवर्ती पहाड़ी तथा जंगल क्षेत्र में 100 एकड़ जमीन पर लेमनग्रास की खेती की जा रही है. इससे किसानों को अच्छी आमदनी हो रही है. बाराचट्टी, गुरुआ और बांकेबाजार प्रखंड क्षेत्र में इसकी खेती की शुरुआत की गई है. मुख्य रुप से बाराचट्टी प्रखंड में लेमनग्रास की खेती अफीम उन्मूलन के लिए प्रारंभ की गयी थी.
आपके शहर से (गया)
गया के 3,237 एकड बंजर भूमि पर होगी लेमनग्रास खेती
लेमनग्रास की खेती की सफलता को देखते हुए जिला प्रशासन अब लेमनग्रास की खेती का रकबा बढ़ाने पर जोर दे रहा है. जिले के 3,237 एकड़ बंजर भूमि पर इसकी खेती कराने की तैयारी है. यानी बंजर भूमि पर हरियाली लाने की तैयारी चल रही है. लेमनग्रास से तैयार होने वाले तेल से किसानों को मुनाफा हो रहा है. बाजार में एक लीटर तेल की कीमत लगभग 1,500 रुपया है, एक एकड़ की खेती से किसानों को एक लाख रुपए तक की बचत हो जाती है.
सैकड़ों किसान लेमनग्रास की खेती के लिए तैयार
न्यूज़ 18 लोकल से बात करते हुए जिला कृषि पदाधिकारी सुदामा महतो ने बताया कि गया में 3,237 एकड़ कृषि योग्य जमीन बंजर है जहां लेमनग्रास खेती कराने की तैयारी है. इसकी खेती के लिए किसानों को प्रशिक्षण के लिए बाहर भेजा गया है. साथ ही पाठशाला चलाया गया है. किसानों को इसकी उपयोगिता बताई गई है. आज किसान बंजर भूमि पर लेमनग्रास की खेती कर रहे हैं. किसानों को एक एकड़ की खेती से लगभग एक लाख रुपए का लाभ हो रहा है. किसान इसको लेकर काफी उत्साहित हैं. इसका असर यह हो रहा है कि जहां पहले किसान शक कर रहे थे, आज सैकड़ों किसान इसकी खेती के लिए तैयार हैं. आने वाले दिनों में इससे लोगों की आय बढ़गी और रोजगार मिलेगा.
लेमनग्रास तेल की यह है खासियत
लेमनग्रास तेल की घरेलू व अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारी मांग है. लेमनग्रास तेल में शक्तिषाली व औषधीय गुण पाये जाते हैं. इसको लगाने से त्वचा को फायदा मिलता है. लेमनग्रास तेल देखने में चमकीला और हल्के पीले रंग का होता है. लेमनग्रास तेल में एन्टीऑक्सीडेन्ट, एन्टीइंफ्लेमेट्री और एन्टीफंगल आदि अनेक औषधीय गुणों का भंडार होता है जिसका उपयोग कर शरीर से तनाव, सूजन, स्ट्रेस, डिप्रेशन, दर्द आदि को कम किया जा सकता है. लेमनग्रास तेल में 70 प्रतिशत से भी अधिक सिट्राॅल पाया जाता है. इस सिट्राॅल से विटामिन ए बनता है.
लेमनग्रास से बनेगा अब यह सब
लेमनग्रास के तेल से विभिन्न काॅस्मेटिक उत्पाद, सैनेटाइजर, फिनाइल, टाॅयलेट क्लीनर एवं काॅस्मेटिक साबुन, टेलकम पाउडर, फेस पाउडर, क्रीम आदि बनाये जाते हैं. आत्मा और कृषि विभाग के माध्यम से बांकेबाजार की महिलाओं को लेमनग्रास आधारित इन उत्पादों पर विशेषकर फिनायल, सेनेटाइजर एवं काॅस्मेटिक साबुन निर्माण पर प्रशक्षण देने की तैयारी चल रही है. इससे आने वाले दिनों में लेमनग्रास आधारित कुटीर उद्योग को बढ़वा मिलेगा. साथ ही लेमनग्रास से साबुन और सैनेटाइजर बनाकर महिलाओं के आय को बढ़ाया जा सकेगा.
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पहले प्रकाशित : 19 जनवरी, 2023, 21:43 IST
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