Home Bihar Good News: गया के छात्रों ने खोजे 4 एस्टेरॉयड, नासा की मुहर के बाद बनेगा इतिहास

Good News: गया के छात्रों ने खोजे 4 एस्टेरॉयड, नासा की मुहर के बाद बनेगा इतिहास

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Good News: गया के छात्रों ने खोजे 4 एस्टेरॉयड, नासा की मुहर के बाद बनेगा इतिहास

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गया. गया के सरकारी स्कूल के बच्चों ने एक बार फिर बड़ा कमाल किया है. जिला स्कूल के 3 छात्र और 1 शिक्षक ने मिलकर नासा के मेंटरशिप में एस्टेरॉयड सर्च कैंपेन के तहत चार नये एस्टेरॉयड की खोज की है. फाइनल सेलेक्शन के लिए खोजे गये नये एस्ट्रॉयड को एस्ट्रोलॉजिकल सॉफ्टवेयर पर अपलोड कर दिया गया है. नासा की टीम के द्वारा जांच के बाद इसे ओके किया जाएगा. अगर नासा इस खोज को सेलेक्ट करता है तो आने वाले दिनों में इन छात्रो के नाम पर एस्टेरॉयड के नाम रखे जाएंगे.

इंटरनेशनल एस्टॉनोमिकल सर्च कोलैबोरेशन के तहत पूरे विश्व में टीम बनाई थी
बता दें कि टीम सप्त ऋषि इंडिया के अंतर्गत गया के छात्र व शिक्षक ने नासा के पार्टनर इंटरनेशनल एस्टॉनोमिकल कोलैबोरेशन के मेंटरशिप में नये एस्टेरॉयड की खोज की गई है. इंटरनेशनल एस्टॉनोमिकल सर्च कोलैबोरेशन के तहत पूरे विश्व में टीम बनाई जाती है. इस बार पूरे विश्व से 220 लोगों की टीम बनाई गई थी. इसी में टीम सप्तऋषि इंडिया के तहत गया जिला स्कूल के 3 छात्र समेत कुल पांच छात्र और एक शिक्षक को आमंत्रित किया गया था. नासा ने प्रत्येक टीम को एस्टेरॉयड के तस्वीर भेजे थे. उन्हीं में से नए एस्टेरॉयड की खोज करनी थी. आईएएससी के द्वारा पहले विश्व भर में टीम गठन करके सदस्यों को ऑनलाइन प्रशिक्षण दिया जाता है. फिर एक निश्चित समय के लिए फोटो उपलब्ध करायी जाती है. जिसमें प्रत्येक टीम को एस्ट्रायड सर्च कैंपेन के अंतर्गत खोजे गए एस्टेरॉयड को एस्ट्रोलॉजिकल सॉफ्टवेयर पर अपलोड करना होता है.

छात्रों ने 20 एस्टेरॉयड की खोज की थी, इसमें सिर्फ 5 एस्ट्रायड का फोटो किया था अपलोड

जिला स्कूल के शिक्षक और मेंटर देवेन्द्र कुमार सिंह ने बताया कि नासा के तरफ से 17 इमेज उपलब्ध कराए गए थे. जबकि हमारे छात्रों ने 20 एस्टेरॉयड की खोज की थी, लेकिन उसमें से सिर्फ 5 एस्टेरॉयड का फोटो एस्ट्रोलॉजिकल सॉफ्टवेयर पर अपलोड किया गया था. जिसमें से चार एस्टेरॉयड प्राइमरी स्टेज में चयन कर लिए गए हैं. नासा के द्वारा इस पर काम किया जा रहा है और अगर यह रिपोर्ट चयनित कर लिया जाता है, तो आने वाले दिनों में छात्र और मेंटोर के नाम से एस्टेरॉयड का नाम रखा जाएगा. आईएएससी ने बिहार के छात्रों का बेहतर प्रदर्शन को देखते हुए बिहार के लिए एक अलग टीम गठन करने को कहा गया है.

पूरे प्रोजेक्ट को करने में तीन से चार महीने का समय लगा

वहीं जिला स्कूल के चयनित छात्र आदित्य कुमार और अनुराग कुमार बताते हैं कि टीम गठन होने के बाद इसको ऑनलाइन प्रशिक्षण दिया गया था कि कैसे नये एस्टेरॉयड की खोज करनी है. उनके द्वारा फोटो उपलब्ध कराए जाते थे. हमलोग उसके स्पीड के आधार पर 20 एस्टेरॉयड की खोज किए थे. जिसमें फाइनल 5 एस्टेरॉयड का फोटो एस्ट्रोलॉजिकल सॉफ्टवेयर पर अपलोड किया गया. इसमें चार एस्टेरॉयड का चयन कर लिया गया है. नासा के द्वारा फाइनल रिपोर्ट आने पर हमारे नाम पर एस्टेरॉयड के नाम रखे जाएंगे. इस पूरे प्रोजेक्ट को करने में तीन से चार महीने का समय लगा है.

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पहले प्रकाशित : जनवरी 08, 2023, 19:30 IST

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