Home Bihar Exclusive: अच्छा तो इसलिए Upendra Kushwaha ताल ठोक कर मांग रहे हिस्सेदारी, Sushil Modi ने भी सुझा दिया ऑप्शन

Exclusive: अच्छा तो इसलिए Upendra Kushwaha ताल ठोक कर मांग रहे हिस्सेदारी, Sushil Modi ने भी सुझा दिया ऑप्शन

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Exclusive: अच्छा तो इसलिए Upendra Kushwaha ताल ठोक कर मांग रहे हिस्सेदारी, Sushil Modi ने भी सुझा दिया ऑप्शन

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नील कमल, पटना: जनता दल यूनाइटेड के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा की वजह से सत्ताधारी पार्टी में उथल-पुथल मचा है। राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह, प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बीच द्वंद का मामला अब और बढ़ता जा रहा है। जगदेव प्रसाद की जयंती समारोह जेडीयू की ओर से अलग मनाई गई। वहीं, उपेंद्र कुशवाहा (उपेंद्र कुशवाहा) ने महात्मा फूले समता परिषद की ओर से पटना के पटेल सेवा संघ भवन में कार्यक्रम का आयोजन किया। उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि उन्होंने शोषित, गरीबों, वंचितों, पिछड़ों, दलितों और उपेक्षित के हक-हकूक की लड़ाई लड़ते हुए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया था। इसके बाद उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) को अपने वादे से मुकर जाने वाला व्यक्ति बता दिया।

‘वादाखिलाफी कर रहे नीतीश’

जनता दल यूनाइटेड संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने नवभारत टाइम्स डॉट कॉम से खास बातचीत की। इस दौरान उन्होंने कहा कि ‘पार्टी के विलय के पहले नीतीश कुमार से उनकी मुलाकात हुई थी। तब मुख्यमंत्री ने कहा था कि मेरे बाद पार्टी में कौन है, उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा था कि मेरे बाद पार्टी को आप ही संभालेंगे। लेकिन जब वक्त आया तो नीतीश कुमार ने अपने ही दिए गए बयान और किए गए वादे से पलटने में देर नहीं लगाई।’ यानी नीतीश कुमार ने अप्रत्यक्ष तौर से उपेंद्र कुशवाहा को पार्टी का उत्तराधिकारी बताया था।

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बातचीत में उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि आज भी चाहते हैं कि नीतीश कुमार और जनता दल यूनाइटेड मजबूत हो। दिन-रात पार्टी को मजबूत करने के लिए ही काम कर रहा हूं। लेकिन दुखद बात ये है कि पार्टी के भीतर के ही कुछ लोग मुख्यमंत्री और पार्टी को कमजोर करने में लगे हैं। यह पूछे जाने पर कि वो कौन ऐसा व्यक्ति है, जो पार्टी को कमजोर कर रहा है तो उनका कहना था कि मुख्यमंत्री भी सारी बातों को जानते हैं। लेकिन मुख्यमंत्री अब कोई निर्णय लेने की स्थिति में नहीं रहे। उन्हें कहीं और से निर्देश मिलता है, उसी अनुसार वो पार्टी और सरकार में काम कर रहे हैं। स्पष्ट तौर से उपेंद्र कुशवाहा ने नाम तो नहीं लिया लेकिन उनका इशारा निश्चित तौर पर राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा की ओर था।

‘पार्टी के ज्यादातर नेता मेरी बातों से सहमत’

जेडीयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने एनबीटी से बात करते हुए बताया कि उन्होंने हिस्सेदारी की बात कही है। इसके अलावा उन्होंने जो भी कुछ कहा है, उस पर पार्टी के ज्यादातर कार्यकर्ता, विधायक और सांसद अपनी सहमति जता चुके हैं। उपेंद्र कुशवाहा ने ये भी कहा कि उन लोगों ने पर्सनली मेरी बात को अपनी सहमति प्रदान की है। लेकिन वो खुलकर पार्टी में या मीडिया के सामने बोल नहीं पा रहे।

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उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि अगर जेडीयू विधायक, सांसद और कार्यकर्ता से अकेले मिलकर बात की जाए तो वो खुलकर पार्टी के भीतर की स्थिति को खोल कर रख देंगे। जब एनबीटी ने उपेंद्र कुशवाहा से सवाल किया कि क्या ज्यादातर विधायक आपके साथ हैं तो इस सवाल के जवाब में उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि वो तो आज भी पार्टी को मजबूत करने का ही काम कर रहे हैं। आरसीपी सिंह से बातचीत हुई है या नहीं? इस सवाल पर उन्होंने कहा कि उनकी कोई बातचीत अब तक नहीं हुई है।

कुशवाहा को मिला जेडीयू एमएलसी का साथ

सत्ताधारी दल के नेताओं के बीच मचे घमासान में अब जेडीयू विधान पार्षद रामेश्वर महतो का नाम भी जुड़ गया है। सूत्र से मिली जानकारी के अनुसार रामेश्वर महतो ने उपेंद्र कुशवाहा का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि जेडीयू के राष्ट्रीय और प्रदेश अध्यक्ष की ओर से संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष के खिलाफ साजिश की जा रही है।

रामेश्वर महतो ने यहां तक कह दिया कि इन्हीं दोनों नेताओं ने उपेंद्र कुशवाहा को मंत्रिमंडल में शामिल नहीं होने दिया। सूत्र बताते हैं कि रामेश्वर महतो अब खुलकर उपेंद्र कुशवाहा के समर्थन में खड़े हो चुके हैं। इसके अलावा पार्टी के भीतर नाराज चल रहे विधायक, सांसद, विधान पार्षद और कार्यकर्ताओं को गोलबंद करने की दिशा में कार्य करना शुरू कर दिए हैं।

जेडीयू के सामने अब दो ही विकल्प: सुशील मोदी

बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने उपेंद्र कुशवाहा के उस बात का समर्थन किया है, जिसमें उन्होंने हिस्सेदारी की मांग की थी। सुशील मोदी ने कहा कि उपेंद्र कुशवाहा ने ठीक ही कहा है कि नीतीश कुमार ने उन्हें पार्टी का उत्तराधिकारी बनाने की बात कही थी। लेकिन वक्त आने पर नीतीश कुमार अपनी बात से ही मुकर गए। नीतीश कुमार के विषय में ये कहना गलत नहीं होगा कि ऐसा कोई सगा नहीं जिसे नीतीश कुमार ने ठगा नहीं। सुशील मोदी ने कहा कि जब नीतीश कुमार ने ये घोषणा कर दी थी कि 2025 विधानसभा चुनाव वे तेजस्वी यादव के नेतृत्व में लड़ेंगे। तब उन्हें अपना पद छोड़ कर देश की राजनीति करनी चाहिए थी और तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बना देना चाहिए था।

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बीजेपी के वरिष्ठ नेता ने ये भी कहा कि राष्ट्रीय जनता दल के साथ जेडीयू की डील भी यहीं हुई थी कि 2023 में तेजस्वी यादव को बिहार की गद्दी सौंपकर नीतीश कुमार देश की राजनीति करने बिहार से बाहर निकल जाएंगे। नीतीश कुमार ने लालू यादव और तेजस्वी यादव को भी धोखा देने का काम किया है। नीतीश कुमार का प्रधानमंत्री बनने का सपना, सपना ही रह जाएगा और अब वे मुख्यमंत्री भी नहीं बन सकेंगे। इसके अलावा बीजेपी अब कभी नीतीश कुमार से समझौता नहीं करेगी। मुख्यमंत्री अपने ही पार्टी में कई नेताओं को धोखा दे चुके हैं, इसलिए पार्टी कार्यकर्ता और नेता के नजरों में भी वो खटक रहे हैं। ऐसे में नीतीश कुमार कुमार की पार्टी के पास दो ही विकल्प है। पहला ये कि नीतीश कुमार अपनी पार्टी का विलय राष्ट्रीय जनता दल में कराकर तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाएं। दूसरा विकल्प ये है कि पार्टी के भीतर नीतीश कुमार की ओर से ठगे गए जेडीयू नेताओं द्वारा पार्टी को ही तोड़ दिया जाए।

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