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झारखंड के लाल पन्नालाल ने अदमय साहस का परिचय देते हुए अकेले 10 लोगों की जान बचाई। पन्नालाल पॅजियारा अपनी टीम के साथ मेंटेंनेस रोप-वे के जरिए दो ट्रॉली तक पहुंच गए और 10 पर्यटकों को नीचे उतार लिया। पन्नालाल के साथ उनकी टीम के बसडीहा निवासी उमेश सिंह, उपेंद्र विश्वकर्मा, नरेश गुप्ता और शिलावर चौधरी नीचे से रस्सी पकड़े हुए थे और कुर्सी भेजकर एक-एक कर सभी पर्यटक को आसानी से बाहर निकाल लिया।
पन्नालाल की साहस देख जोश में आए सेना के जवान
पन्नालाल और उनकी टीम का साहस देखकर भारतीय फौज के जवान भी टावर पर चढ़ गए और सहयोग किया। पन्नालाल ने बताया कि रोप-वे में काम करने के दौरान वह रेस्क्यू करना सीखे हैं। इससे पहले पन्नाला रविवार रात में ही अंधेरे में वह रोप-वे के तार से झूलते हुए करीब 100 फीट की दूरी तय कर 18 नंबर केबिन तक पहुंचे। इसके बाद फंसे लोगों तक पानी और खाना पहुंचाया था। वह पूरी रात वह ओपन ट्राली से उपर नीचे करते रहे।
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पन्नालाल इस दौरान ट्राली में फंसे लोगों का हौसला बढ़ाते रहे। सोमवार सुबह जब ट्राली केबिन में फंसे लोगों को बाहर निकालने की बात हो रही थी तभी पन्नालाल आगे आए। सेना के जवान ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए प्लानिंग करने में जुटे थे तभ पन्नालाल ने साहस का परिचय दिया। दुबले पतले कद काठी के पन्ना लाल ने अपनी जान की परवाह किए बगैर अपने कमर में रस्सा बांधा और करीब 40 फीट की उंचाई पर केबिन संख्या आठ में फंसे चार लोगों तक पहुंच गया। काफी कुशलता से सभी चार लोगों को बारी-बारी से कुर्सी के सहारे नीचे उतार दिया। पन्नालाल की साहस को देखकर सेना के जवानों में भी जोश भर आया और वे ऑपरेशन को अंजाम तक पहुंचाने में जुट गए।
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कौन हैं हिम्मती पन्नालाल
झारखंड के मोहनपुर प्रखंड के बसडीहा गांव के रहने वाले हैं पन्नालाल। वह रोप-वे में काम करते हैं। उन्होंने इससे पहले गंगटोक, अरुणाचल प्रदेश इलाके के रोप-वे में रेस्क्यू का काम कर चुके हैं। इतनी हिम्मत का काम करने के बाद भी पन्नालाल में तनिक भी घमंड नहीं दिखा। वह मीडिया के कैमरे पर भी आने से कतराते रहे। उन्होंने कहा कि मानव धर्म का प्रचार करने की जरूरत नहीं होती। यह हर इंसान की ड्यूटी होती है।
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