![Deal पर जेडीयू में ‘डामाडोल’ सियासत, Upendra Kushwaha पार्टी छोडेंगे या तोड़ेंगे? Deal पर जेडीयू में ‘डामाडोल’ सियासत, Upendra Kushwaha पार्टी छोडेंगे या तोड़ेंगे?](https://muzaffarpurwala.com/wp-content/uploads/https://navbharattimes.indiatimes.com/photo/msid-97627619,imgsize-545972/pic.jpg)
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मेरी बातों की व्याख्या गलत तरीके से की जा रही है
उन्होंने कहा कि समय-समय पर पार्टी की बैठकों में भी मैंने अपनी बातें रखीं हैं। विगत एक-डेढ महीने से मैंने हर संभव तरीके से कोशिश की है कि दिनों दिन अपना अस्तित्व खोती जा रही पार्टी को बचाया जा सके। उपेंद्र कुशवाहा ने पत्र में कहा है कि मेरी कोशिश आज भी जारी है। परंतु तमाम प्रयासों के बावजूद मुख्यमंत्री द्वारा मेरी बातों की न सिर्फ अनदेखी की जा रही है बल्कि उसकी व्याख्या भी गलत तरीके से की जा रही है। उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा है कि मेरी चिंता और जहां तक मैं समझता हू, आप सभी की चिंता भी इस बात को लेकर है कि अगर जदयू बिखर गया तो उन करोड़ लोगों का क्या होगा जिनके अरमान इस दल के साथ जुड़े हुए हैं और जिन्होंने बडे़-बडे़ कष्ट सहकर और अपनी कुर्बानी देकर इसके निर्माण में अपना योगदान किया है।
‘खास डील’ पर होगी चर्चा
कुशवाहा ने आगे कहा कि आरजेडी की ओर से ‘एक खास डील’ और जदयू का राजद के साथ विलय की चर्चा ने न सिर्फ पार्टी के निष्ठावान नेताओं/ कार्यकर्ताओं वरन आम जन मानस को भी झकझोर कर रख दिया है। ऐसी परिस्थिति में हम सबके समक्ष राजनीतिक शुन्यता की स्थिति बनती जा रही हैं। जदयू नेता ने पार्टी कार्यक्रर्ताओं से कहा कि इसलिए आज आवश्यकता इस बात की आ गई है कि हम सब मिलकर उक्त विषय पर विमर्श करें। उन्होंने इसके लिए अपनी पार्टी के नेताओं/ कार्यकर्ताओं को 19 और 20 फरवरी को बैठक में शामिल होने के लिए कहा है ताकि राजद के साथ पार्टी के विशेष सौदे के पीछे की सच्चाई के बारे में चर्चा की जा सके।
कहीं पर निगाहे कहीं पर निशाना
इधर, उपेंद्र कुशवाहा के पत्र पर ललन सिंह ने ट्वीट कर जवाब दिया है। जेडीयू अध्यक्ष ने ट्वट किया कि आरजेडी के साथ डील और विलय मनगढंत कहानी है। कहीं पर निगाहें, कहीं पर निशाना। जेडीयू के समर्पित एवं निष्ठावान कार्यकर्ता साथियों को दिग्भ्रमित करने का प्रयास है।
ललन सिंह के ट्वीट पर उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि यह मनगढंत कहानी नहीं है। उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि अगर मनगढ़ंत कहानी है, तो सीएम नीतीश कुमार 2025 में तेजस्वी यादव के नेतृत्व में चुनाव लड़ने की बात क्यों कर रहे हैं? कहीं न कहीं डील हुई है।
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