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दरभंगा. बिहार के दरभंगा जिले में कोरोना संक्रमण ने न सिर्फ दस्तक दी है, बल्कि पैर पसारना भी शुरू कर दिया है. पिछले दो दिन में यहां चार कोविड पॉजिटिव मरीज पाए गए हैं. इन चारों में से तीन मरीज महिला हैं. कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच दरभंगा मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल यानी डीएमसीएच लगातार मॉक ड्रिल के माध्यम से अपनी व्यवस्था पर पीठ थपथपा रहा है. लेकिन, यह बताने से परहेज कर रहा है कि यहां लगे चार ऑक्सीजन प्लांट में से तीन ऑक्सीजन प्लांट क्यों बेकार पड़े हैं.
अगर कोरोना का भयावह रूप फिर से आ गया तो फिर उस परिस्थिति में उत्तर बिहार के सबसे बड़े अस्पताल डीएमसीएच की स्थिति क्या होगी? यह अंदाजा लगाया जा सकता है. कोरोना के खिलाफ पूरी तैयारी होने का दावा करने वाले डीएमसीएच के उपाधीक्षक डॉक्टर हरेंद्र कुमार ने बताया कि कोरोना को लेकर हमलोग समुचित तैयारी किए हुए हैं. यहां पर पीपीई किट, टेस्ट और दवाएं सभी उपलब्ध हैं. कोरोना आईसीयू मशीन के साथ संचालित है.
मॉक ड्रिल में कोरोना के इलाज में परफेक्ट अपने आपको पाया
उपाधीक्षक ने बताया है कि हमलोगों ने मॉक ड्रिल में कोरोना के इलाज में अपने आपको परफेक्ट पाया है. हालांकि, जब उनसे ऑक्सीजन प्लांट की जानकारी लेने पर जोर दी गई, तो उनका जवाब चौंकाने वाला था. उन्होंने बताया कि सर्विसिंग का कोटेशन आया हुआ है, उसको ठीक करवाने का प्रयास चल रहा है. तीन ऑक्सीजन प्लांट टेक्निकली ठप है. उसे चालू किया जा सकता है.
उन्होंने कहा कि इंजीनियर को बुलाया गया है, उसे ठीक करने का आदेश भी दिया गया है. लेकिन बड़ा सवाल यहां पर यह खड़ा होता है कि ऑक्सीजन प्लांट बीते कई महीनों से बंद पड़ा है. डीएमसीएच अस्पताल में चार ऑक्सीजन प्लांट होते हुए भी ऑक्सीजन सिलेंडर खरीद कर मरीजों को ऑक्सीजन दी जाती है. ऑक्सीजन सिलेंडर की खरीदारी में एक साल में जितनी लागत आयी है, उससे कम खर्च में ऑक्सीजन प्लांट चालू हो सकता था. लेकिन अस्पताल प्रशासन इस ओर ध्यान नहींं दिया. कोराना संक्रमण को देखते हुए यह बड़ी लापरवाही मानी जा रही है.
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पहले प्रकाशित : 13 अप्रैल, 2023, दोपहर 1:41 बजे IST
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