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जातीय जनगणना के लिए लालू यादव ने लड़ी लंबी लड़ाई: तेजस्वी
तेजस्वी यादव ने कहा कि हमारे पिता लालू यादव ने इसकी लंबी लड़ाई लड़ी। उन्होंने संसद में इसकी लड़ाई लड़ी। हमने विधानसभा में इस (जातिगत जनगणना) मुद्दे को उठाया, ये बिहार के लोगों की जीत है। चुंकि बिहार एक पिछड़ा और गरीब राज्य है तो इसमें मदद के लिए केंद्र सरकार को आर्थिक रूप से सहयोग करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमने इसको (बिल) अगली कैबिनेट बैठक में लाने और नवंबर महीने में इसे शुरू करने की बात कही है। छठ पूजा के दौरान बिहार से बाहर रहने वाले लोग भी राज्य में आएंगे और तब तक हम इसकी तैयारी पूरी कर सकते हैं। आगे पढ़िए लालू की जीत क्यों बता रहे तेजस्वी यादव
‘राजद के दबाव में झुकी नीतीश सरकार’ का सदेश देने की कोशिश में तेजस्वी
जातीय जनगणना कराने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने हलफनामा दायर कर इनकार कर दिया था। केंद्र सरकार ने कहा कि अगर राज्य चाहे तो वो अपने खर्चे पर इसे करवा सकती है। इसके बाद लालू यादव ने जातीय जनगणना की मांग को फिर हवा दे दी। तेजस्वी यादव ने नीतीश सरकार से जातीय जनगणना कराने की मांग की। इसे लेकर सीएम नीतीश के नेतृत्व में सभी दलों के प्रमुख नेताओं ने दिल्ली में पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात भी की। लेकिन बात नहीं बनी। आरजेडी की ओर से नीतीश कुमार पर लगातार दबाव बनाया जाने लगा। आखिर में आज नीतीश कुमार ने इसका ऐलान कर दिया।
जातीय जनगणना पर BJP के ‘झुकने’ को लालू की जीत मान रहे तेजस्वी
तेजस्वी यादव जातीय जनगणना पर लालू यादव की जीत बताते हुए बिहार की जनता के बीच संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं कि लालू यादव के दबाव में राज्य में बीजेपी डर गई। दरअसल बिहार में बीजेपी की नीतीश के गठबंधन में सरकार चल रही है। बीजेपी विकास की राजनीति की बात करती है लेकिन सरकार बचाए रखने के लिए बीजेपी ने अपनी रजामंदी जातीय आधारित जनगणना के लिए दे दी। माना जा रहा है कि अगर बीजेपी इस मुद्दे पर नीतीश के साथ नहीं रहती तो नीतीश उसे छोड़कर राजद के साथ चले जाते। फिर राजद संग सरकार बनने पर जातीय जनगणना होती। ऐसे में अब बीजेपी का जातीय जनगणना पर राजी होने को राजद अपनी जीत मान रही है।
वोटर को संदेश देने की कोशिश, लालू ने उनके लिए लड़ी जातीय जनगणना की लड़ाई
बिहार में जातीय जनगणना पर जो फैसला हुआ है, उसका आने वाले समय में राज्य की राजनीति में भी असर देखने को मिल सकता है। बिहार की राजनीति में सक्रीय रूप से एक्टिव न होने पर भी लालू यादव का काफी प्रभाव दिखाई देता है। तेजस्वी यादव ‘MY’ समीकरण के साथ पार्टी से दूर हो रहे पिछड़े-अति पिछड़ी जातियों के वोटर को संदेश देना चाहते हैं कि उनके लिए लालू यादव और राजद ने जाति-जनगणना की लड़ाई लड़ी। इससे वोटर का राजद और लालू यादव में भरोसा बना रहे।
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