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बिहार में जारी जातीय गणना पर रोक लगाने की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया। कोर्ट के इस फैसले ने राज्य में एक बार फिर सियासी पारे को चढ़ा दिया। अब तक इस मुद्दे पर हमलावर बीजेपी बैकफुट पर नजर आ रही है। राष्ट्रीय जनता दल ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी एक बार फिर बेनकाब हुई है।
वर्षों से जातीय गणना की मांग करते रहे लालू यादव
आरजेडी का कहना है कि पार्टी अध्यक्ष लालू प्रसाद की ओर से काफी दिनों से राष्ट्रीय स्तर पर जातीय जनगणना कराने की मांग की जाती रही है। इस सिलसिले में बिहार विधानमंडल ने दो-दो बार सर्वसम्मति से प्रस्ताव भी पारित किया था। इसके अलावे उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव के पहल पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सर्वदलीय बैठक भी बुलाई थी। जिसके बाद बिहार का एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलकर राष्ट्रीय स्तर पर जातीय जनगणना कराने की मांग की थी।
चितरंजन गगन ने कहा कि इस प्रतिनिधिमंडल में BJP भी शामिल थी। लेकिन केंद्र सरकार ने जातीय जनगणना करने से इनकार कर दिया। लिहाजा बिहार सरकार ने अपने संसाधन से जातीय जनगणना कराने का निर्णय लिया। जिसका पहला चरण अभी चल भी रहा है। विधानमंडल में प्रस्ताव को समर्थन देने और सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल में शामिल रहने के बावजूद भाजपा ने जातीय जनगणना का विरोध किया। इसे बाधित करने के लिए विभिन्न प्रकार के हथकंडे का इस्तेमाल किया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से भाजपा बेनकाब हो गई है।
जातीय गणना रोकनेवाली याचिका पर कोर्ट ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट में बिहार में जातीय गणना पर रोक लगाने के लिए दायर की गई याचिका पर सुनवाई हुई। इस मुद्दे पर दायर तीन याचिकाओं में से एक याचिका गैर-सरकारी संगठन ने दाखिल की थी। कोर्ट ने कहा है कि याचिकाकर्ता पटना हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं। हालांकि, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने याचिका खारिज होने की सूचना पर खुशी जाहिर की। उन्होंने कहा कि इससे सभी लोगों को फायदा है।
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