Home Bihar Buxer News : नई फसल पक कर तैयार होने की खुशी में गाया जाता था चैता गीत, अब सिमटती जा रही परंपरा

Buxer News : नई फसल पक कर तैयार होने की खुशी में गाया जाता था चैता गीत, अब सिमटती जा रही परंपरा

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Buxer News : नई फसल पक कर तैयार होने की खुशी में गाया जाता था चैता गीत, अब सिमटती जा रही परंपरा

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रिपोर्ट: गुलशन सिंह

बक्सर. चैत्र का महीना शुरू हो चुका है. इस दौरान जिले के विभिन्न गांवों में चइता गायन के कार्यक्रम आयोजित होने लगे हैं. चैत्र के महीने में जब खेत में फसल पक कर तैयार हो जाती है. तब किसान इसकी कटाई की शुरू करते हैं. कटाई शुरू करने से पहले महिला व पुरूष मजदूर के साथ किसान अपनी सनातनी परंपरा के अनुसार चइता गीत के माध्यम से अपने देवता को सुमरते हैं और उन्हें खुश करने की कोशिश करते हैं.

वहीं इस परंपरा पर भोजपुरी गायक विनय मिश्रा ने न्यूज 18 लोकल से विशेष बातचीत के दौरान जानकारी देते हुए बताया कि चैत का माह पावन महीना होता है. सनातन संस्कृति के मुताबिक हिन्दू नववर्ष चैत में ही शुरू होता है.

चैत्र माह में मनाए जाते हैं एक साथ कई पर्व

भोजपुरी गायक विनय मिश्रा ने बताया कि चैत में ही भगवान राम का अवतरण हुआ था. तभी से चैत माह का महत्व और अधिक बढ़ गया. गायक विनय मिश्रा ने बताया कि चैत माह में ही रबी फसल की कटाई होती है. किसानों के घरों में नए अनाज पहुंचता है, इससे लोगों में अलग खुशी होती है. उन्होंने बताया कि चैत ही वो महीना है जिसमें हिन्दू धर्म के कई पर्व एक साथ मनाएं जाते हैं.

उन्होंने बताया कि इसी माह में चैत्र नवरात्र, चैती छठ और रामनवमी मनाई जाती है. हलांकि लोकगीत की यह परंपरा धीरे-धीरे सिमटता जा रहा है.उन्होंने बताया कि अपनी परंपरा को बचाए रखने के लिए इसपर लागतार काम भी कर रहे हैं. मिट्टी से जुड़े लाेगों को भी इसपर ध्यान देने की जरूरत है.

रबी फसलों की कटाई के दौरान होता है चइता गायन

गायक विनय मिश्रा ने बताया कि इस माह में चैत गायन की परंपरा काफी पुरानी है। उन्होंने कहा कि किसान अपनी फसलों की कटाई सुबह या देर शाम को करते हैं क्योंकि दिन में धूप तेज होती है। इसलिए इस दिन को चैता गाकर मनाया जाता है। कार्यक्रम के दौरान उन्होंने बताया कि मुख्य रूप से ‘अयोध्या में राम जी जन्मले ए राम घरे घरे, घरे बजेला बढ़ैया ए राम घरे घरे’, ‘आज चैत हम गैम ए रामा एही रे ठैया’, ‘कात लेम साल भर के दिन बलुआ हो’ , कटत नाइखे चैत के महिंवा हो’ आदि लोगों द्वारा गाए जाते हैं।

गायक विनय मिश्रा ने बताया कि श्रीरामचन्द्र जी का जन्म चैत्र मास में हुआ था. तभी से यह परंपरा चली आ रही है. उन्होंने कहा कि लोक गायन से इस महीने की शुरुआत होती है. इससे सामाजिक समरसता, आपसी सद्भाव और एक बेहतर समाज का निर्माण होता है.

टैग: बिहार के समाचार, बक्सर न्यूज

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