[ad_1]
गुलशन सिंह
बक्सर: सूबे में स्वास्थ्य व्यवस्था दुरुस्त करने को लेकर सरकार भले ही लाख दावे कर रही हो, लेकिन जमीनी हकीकत किसी से छुपी नहीं है. बक्सर जिले के सरकारी अस्पतालों में मरीजों का इलाज कैसे होता है इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते है कि आयुष चिकित्सक को अंग्रेजी दवाओं के भरोसे इलाज का जिम्मा सौंपा गया है. दरअसल, जिले के नया भोजपुर में लगभग पंद्रह हजार की आबादी के बीच एक प्राथमिक स्वस्थ्य केंद्र है.यहां पिछले नौ साल से आयुर्वेदिक दवाओं की आपूर्ति नहीं हो रही है .
अस्पताल में पदस्थापित आयुष चिकित्सक डॉ. हिसामुद्दीन बताते है कि यहां हर रोज 30-40 मरीजों का आना होता है. जबकि स्वीकृत तीन चिकित्सक की जगह एकमात्र आयुष चिकित्सक के तौर पर वह पदस्थापित है. इसके अलावा दो एएनएम और एक जीएनएम भी पदस्थापित हैं. जबकि ड्रेसर, लिपिक और लैब टेक्नीशियन का पद खाली है. उन्होंने बताया कि पिछले नौ साल में सिर्फ एक बार आयुर्वेदिक दवा उपलब्ध कराई गई. इस कारण मरीजों को अंग्रेजी दवा से इलाज करना पड़ता है.
संसाधनों का घोर अभाव:
आयुष चिकित्सक डॉ. हिसामुद्दीन नेबताया कि इस स्वास्थ्य केन्द्र में छह बेड और एक माइनर ओटी होना चाहिए था. लेकिन यहां बेड और ओटी की व्यवस्था नहीं है. ऐसे में संसाधनों की कमी के कारण लोगों को इसका लाभ नहीं मिल रहा है. डॉ. हिसामुद्दीन ने बताया कि 15 हजार की आबादी को सीमित संसाधन में कवर करना अकेले उनके लिए बहुत मुश्किल होता है. इमरजेंसी के लिए यहां कोई मुकम्मल व्यवस्था नही है. जैसे-तैसे मरीजों का इलाज किया जाता है.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|
टैग: बिहार के समाचार हिंदी में, बक्सर न्यूज
पहले प्रकाशित : 25 फरवरी, 2023, 21:22 IST
[ad_2]
Source link