Home Bihar BSSC पेपर लीक तय था: मोतिहारी में मोबाइल ले घुसा था शातिर, नवादा में कोचिंग संचालक घुसा जेनसेट ऑपरेटर बन

BSSC पेपर लीक तय था: मोतिहारी में मोबाइल ले घुसा था शातिर, नवादा में कोचिंग संचालक घुसा जेनसेट ऑपरेटर बन

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BSSC पेपर लीक तय था: मोतिहारी में मोबाइल ले घुसा था शातिर, नवादा में कोचिंग संचालक घुसा जेनसेट ऑपरेटर बन

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बिहार कर्मचारी चयन आयोग (BSSC) की तृतीय स्नातक स्तर (Graduate Level) की प्राथमिक परीक्षा (PT) में शुक्रवार को पहली पाली की परीक्षा का पर्चा आउट होने की खबर आई थी। पुष्टि भी हुई। अबतक दारोगा पुत्र समेत छह को आर्थिक अपराध इकाई (EOU) उठा भी चुकी है। लेकिन, खबर तो आयोग की परीक्षा लेने का ढर्रा है। एक जगह एक परीक्षार्थी मोबाइल लेकर घुस जाता है और परीक्षा हॉल में प्रश्नपत्र का फोटो खींचकर व्हाट्सएप के जरिए सॉल्वर तक भिजवा देता है। दूसरी जगह, एक कोचिंग संचालक परीक्षा हॉल में घुस जाता है और वह भी जेनरेटर ऑपरेटर का ड्यूटी पेपर लिए। ऐसे एक से बढ़कर एक उदाहरण होंगे। हर उदाहरण तक आर्थिक अपराध इकाई भी नहीं पहुंच सकती। लेकिन, कारण तक कुछ हद तक वह पहुंच गई है कि बीएसएससी ने परीक्षा कराने के लिए जो फंड उपलब्ध कराए, उनका सही उपयोग नहीं किया गया। जहां हर 20 अभ्यर्थी पर एक परीक्षक की ड्यूटी लगनी थी, वहां कमरे में एक की ड्यूटी लगी थी। यहां तक कि हर जगह फंड के बावजूद जेनरेटर नहीं लगा। ऐसी कमियों की छोटी-मोटी सूची आर्थिक अपराध इकाई ने बनाई भी है। वैसे, ईओयू ने उसी अभ्यर्थी नेता को भी सोमवार शाम जांच के नाम पर बुला लिया है, जिसने मीडिया को प्रश्नपत्र लीक होने की जानकारी पहुंचाई।

लापरवाही बताने के लिए दो उदाहरण काफी हैं

1. दारोगा पुत्र मोबाइल लेकर घुसा, प्रश्न का फोटो सॉल्वर तक पहुंचा
परीक्षा शुरू होने के घंटाभर के अंदर शुक्रवार को व्हाट्सएप के जरिए वायरल हुआ प्रश्नपत्र मोतिहारी से लीक हुआ था। बीएसएससी और आर्थिक अपराध शाखा मोतिहारी के उस केंद्र तक प्रश्नपत्र की कोडिंग के जरिए पहुंची तो उसे ‘लापरवाही’ का एक प्रमाण सामने दिखा। दारोगा पुत्र अजय कुमार परीक्षार्थी के रूप में जानबूझ कर देर से सेंटर पहुंचा था ताकि आपाधापी करता मोबाइल समेत घुस जाए। आपाधापी की बात तो आ गई, लेकिन क्या दारोगा पुत्र होने के नाते उसकी जांच में कोताही नहीं बरती गई होगी या दारोगा पुत्र होने का नाजायज फायदा उसने नहीं उठाया होगा? लापरवाही का पहला बिंदु गेट है। मोबाइल के साथ परीक्षा भवन में घुसकर बैठना और प्रश्नपत्र मिलने के बाद फोटो खींचकर उसे व्हाट्सएप पर भाई विजय कुमार को शेयर कर लेना लापरवाही का दूसरा बिंदु है। अभी तक आर्थिक अपराध शाखा और बीएसएससी को यह प्रमाण नहीं मिला है कि विजय ने जिन दो सॉल्वरों को वह प्रश्नपत्र भेजा, उनसे मिला जवाब अजय तक परीक्षा केंद्र के मोबाइल पर नहीं मिला। लेकिन, यह पचाने वाली बात नहीं। जो प्रश्नपत्र आउट करने के लिए मोबाइल लेकर जा सकता है और जिसका भाई दो सॉल्वरों को प्रश्नपत्र दे सकता है, उसे जवाब नहीं मिला हो- संभव नहीं। खैर, यह जांच का अहम बिंदु है।

2. सादा कागज ही जेनरेटर ऑपरेटर की आईडी, उसी पर हॉल में घुसा
शुक्रवार 23 दिसंबर को ही लापरवाही का एक बड़ा उदाहरण नवादा में सामने आया, जहां एक कोचिंग संचालक परीक्षा हॉल में जेनरेटर ऑपरेटर बनकर घूमता हुआ दूसरी पाली में पकड़ा गया। यह केस (1749/23) नवादा टाउन थाने में दर्ज होकर रह गया। पुलिस ने एफआईआर कर आरोपी  को जेल भेज दिया। लेकिन, यह कितनी बड़ी लापरवाही है कि फिटफाट कपड़े में कोचिंग संचालक परीक्षा केंद्र में घुस जाता है और हॉल में परीक्षा के दौरान किसी परीक्षार्थी की मदद के आरोप में उसे दूसरी पाली में पकड़ा जाता है। संभव है कि वह पहली पाली में भी हो और अगर कोई ऐसे घुस सकता है तो बाकी कदाचार भी उसके लिए असंभव नहीं। कन्हाई इंटर विद्यालय नवादा कें केंद्राधीक्षक के रूप में संचालन करते हुए उसे पकड़ने वाले सुरेंद्र पांडेय ने प्राथमिकी दर्ज कराते समय यह भी लिखा कि कमरा नंबर 10 में जब परीक्षार्थी की मदद करते नवादा के बुधवारा (गोविंदपुर) निवासी आजाद कुमार पासवान को पकड़ा गया तो केंद्राधीक्षक के हस्ताक्षर और मुहर के साथ उसके पास जेनरेटर ऑपरेटर का परिचय पत्र था। उन्होंने हस्ताक्षर-मुहर को अपना बताया, लेकिन उनके आवेदन में यह भी जिक्र है कि ‘सादा कागज’ पर यह परिचय पत्र बना था। इतनी संवेदनशील परीक्षा में केंद्राधीक्षक की ओर से सादे कागज पर जेनरेटर ऑपरेटर का परिचय पत्र बनाना और उस परिचय पत्र के आधार पर उसका परीक्षा हॉल में घुसना लापरवाही की इंतहा ही तो है। नवीन नगर में कॅरियर 50 के नाम से कोचिंग चलाने वाला अकारण तो जेनरेटर ऑपरेटर बनकर नहीं आया होगा।

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बिहार कर्मचारी चयन आयोग (BSSC) की तृतीय स्नातक स्तर (Graduate Level) की प्राथमिक परीक्षा (PT) में शुक्रवार को पहली पाली की परीक्षा का पर्चा आउट होने की खबर आई थी। पुष्टि भी हुई। अबतक दारोगा पुत्र समेत छह को आर्थिक अपराध इकाई (EOU) उठा भी चुकी है। लेकिन, खबर तो आयोग की परीक्षा लेने का ढर्रा है। एक जगह एक परीक्षार्थी मोबाइल लेकर घुस जाता है और परीक्षा हॉल में प्रश्नपत्र का फोटो खींचकर व्हाट्सएप के जरिए सॉल्वर तक भिजवा देता है। दूसरी जगह, एक कोचिंग संचालक परीक्षा हॉल में घुस जाता है और वह भी जेनरेटर ऑपरेटर का ड्यूटी पेपर लिए। ऐसे एक से बढ़कर एक उदाहरण होंगे। हर उदाहरण तक आर्थिक अपराध इकाई भी नहीं पहुंच सकती। लेकिन, कारण तक कुछ हद तक वह पहुंच गई है कि बीएसएससी ने परीक्षा कराने के लिए जो फंड उपलब्ध कराए, उनका सही उपयोग नहीं किया गया। जहां हर 20 अभ्यर्थी पर एक परीक्षक की ड्यूटी लगनी थी, वहां कमरे में एक की ड्यूटी लगी थी। यहां तक कि हर जगह फंड के बावजूद जेनरेटर नहीं लगा। ऐसी कमियों की छोटी-मोटी सूची आर्थिक अपराध इकाई ने बनाई भी है। वैसे, ईओयू ने उसी अभ्यर्थी नेता को भी सोमवार शाम जांच के नाम पर बुला लिया है, जिसने मीडिया को प्रश्नपत्र लीक होने की जानकारी पहुंचाई।

लापरवाही बताने के लिए दो उदाहरण काफी हैं

1. दारोगा पुत्र मोबाइल लेकर घुसा, प्रश्न का फोटो सॉल्वर तक पहुंचा

परीक्षा शुरू होने के घंटाभर के अंदर शुक्रवार को व्हाट्सएप के जरिए वायरल हुआ प्रश्नपत्र मोतिहारी से लीक हुआ था। बीएसएससी और आर्थिक अपराध शाखा मोतिहारी के उस केंद्र तक प्रश्नपत्र की कोडिंग के जरिए पहुंची तो उसे ‘लापरवाही’ का एक प्रमाण सामने दिखा। दारोगा पुत्र अजय कुमार परीक्षार्थी के रूप में जानबूझ कर देर से सेंटर पहुंचा था ताकि आपाधापी करता मोबाइल समेत घुस जाए। आपाधापी की बात तो आ गई, लेकिन क्या दारोगा पुत्र होने के नाते उसकी जांच में कोताही नहीं बरती गई होगी या दारोगा पुत्र होने का नाजायज फायदा उसने नहीं उठाया होगा? लापरवाही का पहला बिंदु गेट है। मोबाइल के साथ परीक्षा भवन में घुसकर बैठना और प्रश्नपत्र मिलने के बाद फोटो खींचकर उसे व्हाट्सएप पर भाई विजय कुमार को शेयर कर लेना लापरवाही का दूसरा बिंदु है। अभी तक आर्थिक अपराध शाखा और बीएसएससी को यह प्रमाण नहीं मिला है कि विजय ने जिन दो सॉल्वरों को वह प्रश्नपत्र भेजा, उनसे मिला जवाब अजय तक परीक्षा केंद्र के मोबाइल पर नहीं मिला। लेकिन, यह पचाने वाली बात नहीं। जो प्रश्नपत्र आउट करने के लिए मोबाइल लेकर जा सकता है और जिसका भाई दो सॉल्वरों को प्रश्नपत्र दे सकता है, उसे जवाब नहीं मिला हो- संभव नहीं। खैर, यह जांच का अहम बिंदु है।



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