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झाड़-फूंक में गई महिला की जान
– फोटो : अमर उजाला
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औरंगाबाद के ओबरा प्रखंड में खुदवा थाना क्षेत्र के चातर गांव में दवा पर भरोसा छोड़कर झाड़-फूंक कराना एक महिला को महंगा पड़ गया। झाड़-फूंक से भी महिला की हालत नहीं सुधरने पर परिजन उसे इलाज के लिए गुरुवार शाम औरंगाबाद सदर अस्पताल लेकर आए, लेकिन वह रास्ते में ही दम तोड़ चुकी थी।
जानकारी के मुताबिक, चातर गांव निवासी रमेश कुमार की पत्नी ज्योति देवी (22) के पेट में गुरुवार दोपहर बाद अचानक से तेज दर्द उठा। महिला दर्द से कराहते हुए चीखने-चिल्लाने लगी। इसके बाद परिजनों ने किसी ग्रामीण दवा दुकान से पेट दर्द का दवा लाकर महिला को खिलाया। दवा खाने के बाद भी पेट दर्द कम नहीं हुआ। इसके बाद परिजन अंधविश्वास में पड़ गए। वे महिला को लेकर झाड़-फूंक कराने गांव के ही एक ओझा के पास पहुंचे। ओझा काफी देर तक झाड़-फूंक करता रहा। इसके बावजूद महिला को दर्द से कोई राहत नहीं मिली।
परिजनों का धैर्य जवाब दे गया…
ओझा महिला के शरीर पर भूत-प्रेत का साया बताकर लगातार झाड़-फूंक करता रहा। महिला की हालत में सुधार नहीं होने पर अंततः परिजनों का धैर्य जवाब दे गया। लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी। वे महिला को लेकर इलाज के लिए औरंगाबाद सदर अस्पताल तो आए, लेकिन बीच रास्ते में ही वह दम तोड़ चुकी थी। सदर अस्पताल में चिकित्सकों ने महिला को मृत घोषित कर दिया।
इधर, मौत की खबर सुनते ही महिला के परिजन चीत्कार मार रोने लगे। इसके बाद परिजन शव को बिना पोस्टमॉर्टम कराए ही सदर अस्पताल से लेकर घर चले गए। इस घटना ने फिर यह साबित किया है कि अंधविश्वास बुरी चीज है और जानलेवा भी है। क्योंकि महिला को यदि सही समय पर सही इलाज मिल जाता तो उसकी जान बचने की ज्यादा से ज्यादा संभावना थी। लेकिन अंधविश्वास के कारण ऐसा नहीं हो सका और उसकी जान चली गई।
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