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Bihar Politics: ‘सन ऑफ मल्लाह’ मुकेश सहनी का अब बिहार में क्या है राजनीतिक भविष्य?

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Bihar Politics: ‘सन ऑफ मल्लाह’ मुकेश सहनी का अब बिहार में क्या है राजनीतिक भविष्य?

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पटना. बिहार में ‘सन ऑफ मल्लाह’ के नाम से मशहूर वीआइपी (VIP) सुप्रीमो मुकेश सहनी (Mukesh Sahni) का राजनीतिक भविष्य अधड़ में लटक गया है. सहनी का बीजेपी से तकरार मोल लेना भारी पड़ गया. पहले पार्टी से सभी तीन विधायकों ने बीजेपी का दामन थाम लिया फिर बाद में खुद मंत्री पद से भी बर्खास्त हो गए. उनकी एनडीए और बिहार सरकार दोनों ही जगह से विदाई हो गई. ऐसे में मुकेश सहनी के पास अब क्या विकल्प बचते हैं? सहनी के लिए समस्या यह है कि आरजेडी ने पहले ही अपना दरवाजा बंद कर लिया है. अब वह एनडीए से भी निकाले जा चुके हैं. जेडीयू अभी तक उनको भाव नहीं दे रही है. ऐसे में सहनी अब एनडीए के ही एक और नाराज साथी चिराग पासवान से दोस्ती का हाथ बढ़ा रहे हैं.

मुकेश सहनी ने बीते दिनों बोचहां में चुनाव प्रचार के दौरान आरोप लगाया है कि बीजेपी की नीति ही ‘यूज एंड थ्रो’ की रही है. हमारी बात छोड़ दीजिए, आखिर एक साल पहले जिस दिवंगत रामविलास पासवान को पद्म पुरस्कार से सम्मानित किया था, आज उनकी ही पत्नी को उनके सरकारी आवास से बाहर निकाल दिया गया.’

मुकेश साहनी न्यूज

बिहार सरकार से बर्खास्त करवाने के बाद भी बीजेपी की मुकेश सहनी के प्रति नाराजगी कम नहीं हुई है ((न्‍यूज 18 हिन्‍दी)

‘सन ऑफ मल्लाह’ का राजनीतिक भविष्य
राजनीतिक जानकार इस बयान के मायने तलाश रहे हैं. हालंकि, चिराग और तेजस्वी की निकटता और सहनी के पूर्व के रिकॉर्ड को देखते हुए निकट आना उतना आसान प्रतीत नहीं हो रहा है. क्योंकि, बिहार की राजनीति इन दिनों कई मामलों को लेकर सुर्खियों में है. एनडीए की सरकार मोटे तौर पर मजबूत दिखती है, मगर सरकार में शामिल पार्टियां आपस में ही खुलेआम एक-दूसरे की इज्जत उतारने में लगी रहती है. पिछले दिनों बिहार विधानसभा में सत्र के दौरान ही मुख्यमंत्री के द्वारा सदन के अध्यक्ष को नसीहत देना अपने आप में राजनीतिक तौर पर एक अप्रत्याशित घटना थी. बिहार में इस बात को लेकर जितनी मुंह उतनी बात हो रही है.

क्यों बीजेपी ने दिखाई औकात
दूसरी महत्वपूर्ण राजनीतिक घटना जिसे लेकर अधिकांश राजनीतिक विश्लेषक आश्वस्त थे, वह अपना मूर्त रूप ले चुका है. उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव में मल्लाहों की राजनीति करने वाली वीआईपी पार्टी ने बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था. बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व को बुरा-भला कहना इस पार्टी के प्रमुख मुकेश सहनी की आदत बन गई थी. मुकेश सहनी की पार्टी को चुनावी मैदान में खेत रहने के बाद अब बारी भाजपा की थी.

मुकेश साहनी

सहनी एनडीए के ही एक और नाराज साथी चिराग पासवान से दोस्ती का हाथ बढ़ा रहे हैं?

नीतीश कुमार ने क्यों की बर्खास्तगी की सिफारिश
बिहार बीजेपी ने मुकेश सहनी को बर्खास्त करने का आग्रह मुख्यमंत्री से किया और सन ऑफ मल्लाह का रट लगाने वाले मंत्री जी पैदल हो गए. इसके पहले मुकेश की पार्टी को विधानसभा में शून्य करने का काम भाजपा वालों ने किया और उनके कुल जमा तीनों विधायकों को अपने पार्टी में शामिल कर लिया. यह विवाद प्रदेश में होने वाले बोचहां विधानसभा चुनाव से भी जुड़ा है.

कैसे विवाद शुरू हुआ?
बोचहां की सीट वीआईपी में बीजेपी से किराए पर गए मुसाफिर पासवान के गुजर जाने से रिक्त हुआ है. बीजेपी इस सीट पर अपना उम्मीदवार उतार चुकी है और इस बात से नाराज मुकेश सहनी ने भी अपने उम्मीदवार खड़ा कर दिया है. इस तरह के खेल में मुकेश सहनी का हारना तय था मगर वो जिद्द पर अड़े थे कि वो इस्तीफा देने की जगह बर्खास्त होना पसंद करेंगे. सीएम नीतीश कुमार ने यह इच्छा उनकी पूरी कर दी.

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्यपाल को मुकेश सहनी को मंत्रिमंडल से हटाने की सिफारिश भेजी थी. (फाइल फोटो)

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क्या कहते हैं जानकार
बिहार की राजनीति को समझने वाले वरिष्ठ पत्रकार सुनील पांडेय मानते हैं कि मुकेश सहनी राजनीतिक रूप से कमजोर और अपरिपक्व होने का सबूत दिया है. जब तक मुकेश मजबूत नहीं होते तब तक उन्हें बीजेपी के कंधे का भरपूर उपयोग करना चाहिए थे. देश में ऐसे अनेक उदाहण हैं. मगर मुकेश क्यों उतावले हो गए, कहना मुश्किल है. नतीजा है कि वो न घर के रहे न घाट के. सत्ता की हनक उतरने के साथ ही अब मुकेश सहनी अपने पुराने सहयोगियों के पोल खोल में उतर गए हैं. आने वाला समय निश्चित रूप से मुकेश के लिए मुश्किल भरा होगा, क्योंकि बिहार की दूसरी प्रमुख विपक्षी दल आरजेडी को पहले ही ये दगा दे चुके हैं. जाहिर है कि आरजेडी का दरवाजा मुकेश के लिए बंद है और इस बात का संकेत राबड़ी देवी खुलेआम दे चुकी है.

आपके शहर से (पटना)

टैग: Bihar BJP, बिहार की राजनीति, CM Nitish Kumar, Mukesh Sahni, एन डी ए

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