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विधानसभा में सोमवार को सीएम नीतीश कुमार और स्पीकर के बीच इस बात को लेकर तीखी नोकझोंक हुई थी कि क्या सरकार की तरफ से जांच किए जा रहे मामले को जिसे विशेषाधिकार समिति को भी भेजा गया है, सदन के पटल पर बार-बार उठाया जा सकता है। बुधवार को सदन की कार्यवाही शुरू होने के साथ ही राजद, कांग्रेस और वाम दलों के विपक्षी सदस्य सदन के वेल में आ गए और मांग की कि सोमवार को जो कुछ भी हुआ था, उस पर मुख्यमंत्री और स्पीकर सदन में अपना बयान दें।
कल सदन में नहीं थे नीतीश
सीएम नीतीश सदन में मौजूद नहीं थे, संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि स्पीकर और सीएम दोनों का स्टैंड एक ही था कि सदन को नियमों और मानदंडों के अनुसार चलाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि विपक्षी सदस्यों को सदन की गरिमा के बारे में सवाल उठाने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है, क्योंकि उन्होंने पिछले साल 21 मार्च को सिन्हा का घेराव करके और उन्हें अपने विधानसभा कक्ष में कैद करके स्पीकर और विधायिका का मजाक उड़ाया था। अंत में, सिन्हा ने अपना बयान तब दिया जब विपक्षी सदस्य अपनी सीटों पर लौट आए।
मैंने मंत्रियों के साथ की थी बैठक- विजय सिन्हा
विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने सदन को सूचित किया कि वह इस मामले पर चर्चा करने और समाधान खोजने के लिए मंगलवार को सीएम, दो डिप्टी सीएम तारकिशोर प्रसाद और रेणु देवी , संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी, ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव और स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे के साथ बैठे थे। सदन में विजय सिन्हा ने अपने संबोधन में कहा कि ‘हमने गतिरोध को तोड़ने का फैसला किया। विधायी अभ्यास और व्यवसाय के मूलभूत पहलुओं पर कोई मतभेद नहीं थे। विधायी व्यवस्था सिखाती है कि कोई नफरत को बढ़ावा दिए बिना विरोध दर्ज कर सकता है, और हिंसा का सहारा लिए बिना समाज में सुधार किया जा सकता है।’
विपक्ष की मांग- नीतीश मांगें स्पीकर से माफी
अध्यक्ष ने कहा कि लखीसराय घटना पर डीजीपी की रिपोर्ट की जांच कर रही विशेषाधिकार समिति 25 मार्च को अपनी बैठक करेगी। हालांकि इस दौरान सदन की कार्यवाही को पटरी पर लाने की डिप्टी सीएम तारकिशोर प्रसाद की अपील नाकाम ही साबित हुई। विपक्ष ने इस मुद्दे पर सीएम नीतीश को घेरे रखा और उनसे माफी मांगने की मांग की। इस दौरान पहले स्पीकर को सदन दोपहर 2 बजे और इस समय पर शुरू होते ही फिर से शाम 4:50 तक स्थगित करना पड़ा।
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