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नीतीश कुमार-तेजस्वी यादव (फाइल फोटो)
– फोटो : PTI
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बिहार के कुढ़नी में हुए उपचुनाव के नतीजे महागठबंधन के लिए चौंकाने वाले हैं। यहां नीतीश-तेजस्वी के प्रचार के बाद भी जदयू प्रत्याशी मनोज कुमार सिंह को हार का सामना करना पड़ा। भाजपा के केदार गुप्ता 76 हजार 722 वोट पाकर चुनाव जीत गए। भले ही केदार गुप्ता की यह जीत आम लग रही हो, लेकिन ये नतीजे भविष्य के लिए कई संकेत दे रहे हैं।
दरअसल, अगस्त में जब नीतीश कुमार ने एनडीए से अलग होकर राजद के साथ सरकार बनाई थी, तब कहा जाने लगा था कि बिहार में भाजपा के लिए मुश्किलें खड़ी होने वाली हैं। हालांकि, महागठबंधन में जदयू के शामिल होने के बाद से राज्य में तीन उपचुनाव हुए हैं, जिनके नतीजों ने नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव की चिंता बढ़ा दी है। इन चुनावों में दो में महागठबंधन प्रत्याशियों को हार कर सामना करना पड़ा है। सिर्फ मोकामा सीट पर ही महागठबंधन प्रत्याशी की जीत हुई थी।
भाजपा का एक भी नेता नहीं पहुंचा था
कुढ़नी सीट के नतीजे ने राजनीतिक पंडितों के लिए शोध का विषय बन गए हैं। दरअसल, इस सीट पर हुए उपचुनाव में प्रचार के लिए भाजपा का कोई भी बढ़ा नेता नहीं पहुंचा था। एक दो स्टार कैंपेनर को छोड़ दें तो स्थानीय नेताओं ने ही प्रचार किया। किसी केंद्रीय मंत्री की भी रैली यहां नहीं हुई। इसके बावजूद भाजपा ने जदयू प्रत्याशी को हरा दिया। जबकि, दूसरी तरफ कुढ़नी विधानसभा सीट को जीतने के लिए महागठबंधन ने पूरी ताकत झोंक दी थी। पहली बार नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव ने यहां संयुक्त रैली भी की थी।
नीतीश के लिए चिंता करने वाले नतीजे
बिहार के विधानसभा चुनावों से लेकर उपचुनाव तक जदयू के लिए कुछ भी अच्छा नहीं हुआ है। वहीं, अगर भाजपा और राजद की बात करें तो उनका प्रदर्शन ठीक-ठाक रहा है। ऐसे में कुढ़नी विधानसभा सी के नतीजे नीतीश कुमार के लिए चिंता का सबब बन रहे हैं। दरअसल, पहले विधानसभा चुनाव में भी जदयू की करीब 28 सीटें घट गई थीं। इसके बाद वह अपनी कुढ़नी विधानसभा सीट भी नहीं बना पाई। जबकि, मोकामा और गोपालगंज उपचुनाव में राजद और भाजपा एक-एक सीट बचाने में कामयाब रही थीं।
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