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पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी ने मीडिया को बताया कि विभाग के फैसले को लेकर सभी जिलाधिकारियों और जिला पंचायत राज पदाधिकारियों को कार्रवाई सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए। उन्होंने कहा है कि पंचायत चुनाव के बाद सभी ग्राम कचहरियों का गठन नए सिरे से कर दिया गया है। इनमें पहले से तैनात सचिव ही आगे काम करते रहेंगे। अगर कोई पंचायत नगरपालिका का हिस्सा बन गया तो वैसे ग्राम कचहरियों का अस्तित्व समाप्त हो गया। ऐसे में वहां कार्यरत सचिवों की कार्यावधि समाप्त समझी जाएगी।
कचहरी सचिवों को 6000 रुपए महीना
बिहार में तकरीबन सभी विभागों में नियोजन संस्कृति है। पंचायती राज विभाग भी उससे अछूता नहीं है। ग्राम कचहरी सचिवों को 6000 रुपए महीना मानदेय मिलता है। नियमानुसार ग्राम कचहरी की कार्यावधि तक के लिए सचिवों का चयन होता है। नई कचहरी गठित होने के साथ ही सचिवों का कॉन्ट्रैक्ट खुद ही समाप्त हो जाता है। मगर, सरकार चाहे तो नई कचहरी के लिए भी पहले से काम कर रहे सचिवों की सेवा विस्तार दे सकती है। इसी नियम के तहत 7000 सचिवों को सेवा विस्तार मिला है।
8000 कार्यपालक सहायक की भी नियुक्ति
पंचायती राज विभाग में बंपर बहाली आनेवाली है। कचहरी सचिवों की एक हजार नियुक्ति के साथ ही आठ हजार से ज्यादा कार्यपालक सहायकों की नियुक्ति का प्रस्ताव तैयार है। वित्त विभाग से सहमति लेने की तैयारी है। फिर कैबिनेट की मंजूरी के बाद नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। ये भी संविदा के पद ही होंगे। बिहार के 8067 ग्राम पंचायतों में दो-दो कार्यपालक सहायकों की नियुक्ति की तैयारी है। फिलहाल पंचायतों में एक-एक कार्यपालक सहायक कार्यरत हैं। आरटीपीएस काउंटरों को बेहतर तौर पर चलाने के लिए कार्यपालक सहायकों की नियुक्ति का फैसला लिया गया है।
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