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रिपोर्ट-गौरव सिंह
भोजपुर. एक तरफ तो सरकार गर्मी, लू और हीट स्ट्रोक का खतरा बताकर सलाह दे रही है कि घरों में ही रहें और दूसरी तरफ इस बेतहाशा गर्मी के मौसम में 100 से ज्यादा परिवारों के सिर से छत छीनकर उन्हें सड़क पर छोड़ दिया गया है. क्या बच्चे, क्या गर्भवती महिलाएं, क्या बुजुर्ग! सभी चिलचिलाती धूप में प्रशासन को रो रहे हैं. पीड़ितों का कहना है कि वो दादा-परदादा के जमाने से यहां रह रहे थे और 1981 में एक सरकारी अफसर ने उन्हें लिखित में मंजूरी भी दी थी, इसके बावजूद नियम कायदों को ताक पर रखकर उनके घर तोड़ दिए गए.
आरा के उदवंतनगर प्रखंड के छोटकी सासाराव गांव के पास एक छोटा सा गांव है सरैया. यहां आजादी के समय से बिंद समाज के लोग रहते आ रहे थे, जिन्हें अब बेघर कर दिया गया है. न्यूज़ 18 लोकल ने जब सरैया के सैकड़ों पीड़ित परिवारों से बात की तो दर्जनों महिला और पुरुषों ने एक स्वर में कहा कि एक दिन पहले नोटिस दिया गया. दूसरे दिन उदवंतनगर के सीओ ने कहा कि किसी अन्य जगह बसाने के लिए जमीन का पर्चा दिया जाएगा. लेकिन अगले दिन ही सैकड़ों की संख्या में पुलिस बल और बुलडोजर लाकर हमारे सभी घरों को एक साथ तोड़ दिया गया.
किसके इशारे पर पर तोड़े गए घर?
पीड़ितों का आरोप है कि जिला प्रशासन ने गांव के कुछ लोगों के इशारे पर ये काम किया है. सुप्रीम कोर्ट का सख्त आदेश है कि अतिक्रमण के नाम पर किसी के घर को तोड़ा जा रहा है तो पहले उसके रहने की व्यवस्था की जाए लेकिन यहां इस निर्देश को नहीं माना गया. गौरतलब है कि इन दिनों 43 डिग्री के आसपास तापमान के कारण लोगों की जान पर बनी हुई है सरकार लगातार अपील कर रही है कि घरों में सुरक्षित रहें. ऐसे में सरैया में हुई आनन फानन कार्रवाई को लेकर प्रशासन ने चुप्पी साध रखी है.
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पहले प्रकाशित : 20 अप्रैल, 2023, 15:05 IST
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