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अदालत ने बिहार पुलिस के डीजीपी को अभियोजन निदेशक सहित सभी संबंधित अधिकारियों के साथ एक बैठक बुलाने का भी निर्देश दिया, ताकि यह पता लगाया जा सके कि आरोपी सांसदों के खिलाफ सभी लंबित 268 मुकदमों में अभियोजन पक्ष द्वारा सबूत पेश किए जाने की समय अवधि क्या है। सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता ललित किशोर ने राज्य के गृह सचिव चैतन्य प्रसाद के हलफनामे के माध्यम से पेश किए गए आंकड़ों से अदालत को अवगत कराया। हलफनामे के माध्यम से बताया गया है कि बिहार में संघ और राज्य के सांसदों के खिलाफ कुल मिलाकर 568 प्राथमिकी दर्ज की गई हैं, जिनमें से 520 मामलों में आरोप पत्र दायर किया गया है और 78 की जांच अभी भी चल रही है।
अलग-अलग अदालतों में 150 से ज्यादा केस पेंडिंग
अभी बिहार में कुल 268 नेताओं पर अलग-अलग धाराओं में मामले दर्ज हैं। एक आंकड़े के मुताबिक विभिन्न अदालतों में 156 मामले लंबित हैं, जहां आरोपी सांसदों की पेशी लंबित है। हाईकोर्ट ने राज्य अभियोजन निदेशालय को आरोपियों की पेशी पूरी करने का निर्देश दिया। इस मामले की अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद डीजीपी की ओर से बुलाई जाने वाली बैठक के परिणाम के बिंदु पर होगी।
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