Home Bihar Bihar News : पटना से कार में बैठिए और मुंगेर होते हुए सीधे पहुंच जाइए भागलपुर, बिहार के 2 करोड़ लोगों की जिंदगी बदलने वाले श्रीकृष्ण सेतु के बारे में जाने सबकुछ

Bihar News : पटना से कार में बैठिए और मुंगेर होते हुए सीधे पहुंच जाइए भागलपुर, बिहार के 2 करोड़ लोगों की जिंदगी बदलने वाले श्रीकृष्ण सेतु के बारे में जाने सबकुछ

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Bihar News : पटना से कार में बैठिए और मुंगेर होते हुए सीधे पहुंच जाइए भागलपुर, बिहार के 2 करोड़ लोगों की जिंदगी बदलने वाले श्रीकृष्ण सेतु के बारे में जाने सबकुछ

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| नवभारतटाइम्स.कॉम | Updated: Feb 11, 2022, 1:10 PM

मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार पटना से मुंगेर के लिए रवाना हो चुके है। थोड़ी देर में ही इस पुल का उद्घाटन करेंगे। उनके साथ केंद्रीय पथ निर्माण मंत्री नितिन गडकरी दिल्‍ली से शामिल होंगे। इस पुल का उद्घाटन संयुक्‍त रुप से किया जाएगा। ये पुल बेगूसराय में राष्ट्रीय राजमार्ग (NH 31) को मुंगेर में NH 333 (A) के माध्यम से NH 33 से जोड़ता है। इस पुल से उन लोगों को काफी सहूलियत होगी जो नदी के दूसरी ओर पहुंचने के लिए मुंगेर, लखीसराय और जमुई घूमकर जाने को मजबूर थे।

 

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पटना : बिहार (Bihar) को जल्द ही गंगा (Ganga) नदी पर वो पुल मिलने जा रहा है जिसके लिए सालों संघर्ष किया गया। इस नए पुल (New Bridge) का तोहफा मुंगेर बेगुसराय और खगडिया को मिलने वाला है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) और बिहार के CM नीतीश कुमार (Nitish Kumar) शुक्रवार को बेगूसराय में साहेबपुर कमाल को मुंगेर से जोड़ने वाले गंगा पर लंबे समय से लंबित सड़क पुल का उद्घाटन करेंगे। तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने साल 2002 में बिहार के पहले CM श्रीकृष्ण सिंह के नाम पर राजधानी पटना से लगभग 168 किमी पूर्व में रेल-सह-सड़क पुल की नींव रखी थी। वहीं PM नरेंद्र मोदी ने मार्च 2016 में पुल के 3.75 किमी लंबे रेलवे हिस्से का उद्घाटन किया। हालांकि डबल-डेक में बना सड़क पुल चालू नहीं हो सका था। क्योंकि दोनों तरफ इसके संपर्क भाग समय पर पूरे नहीं हो पाए थे। साहेबपुर कमाल से मुंगेर जाने के लिए लोग अक्सर मोटरसाइकिल और साइकिल के साथ नदी पार करने के लिए जोखिम भरी नाव यात्राएं करते थे। क्‍योंकि यही एक मात्र रास्‍ता हुआ करता था। ऐसे में इस नए पुल के चालू हो जाने से लोगों को काफी राहत मिलने वाली है।
गंगा पर यह है सातवां सड़क पुल
लगभग 1,000 करोड़ की लागत से निर्मित नया पुल गंगा पर सातवां सड़क पुल है। जो बेगूसराय (Begusarai) में राष्ट्रीय राजमार्ग (NH 31) को मुंगेर (Munger) में NH 333 (A) के माध्यम से NH 33 से जोड़ता है। इस पुल से उन लोगों को काफी सहूलियत होगी जो नदी के दूसरी ओर पहुंचने के लिए मुंगेर, लखीसराय और जमुई की यात्रा करने के लिए मजबूर थे। पुल के लिए संघर्ष का रहा है पुराना इतिहासमुंगेर की गंगा पर रेल सह सड़क पुल का निर्माण हो, जिलेवासियों ने जो ख्वाब देखा था, वह आज पूरा होता नजर आ रहा है। लेकिन इस ख्वाब को पूरा करने में एक लंबा अरसा निकल गया। इसके पीछे संघर्ष की एक लंबी कहानी भी है। जिला मुख्यालय से लेकर राजधानी दिल्ली तक संघर्ष हुआ। मुंगेर की धरती पर 14 दिनों तक आमरण अनशन हुआ। मुंगेर-बेगूसराय-खगड़िया जिला के सामूहिक संघर्ष का परिणाम इस पुल के निर्माण से मुंगेर, खगड़िया और बेगूसराय के लोगों की सहूलियत बढ़ेगी। जागृति नाम की संस्था ने इस पुल के आंदोलन को जारी रखा। बाद में मुंगेर के तत्कालीन सांसद ब्रह्मानंद मंडल ने पुल की मांग को लेकर जब अनशन किया। तब जाकर पहली बार भारत सरकार के तत्कालीन योजना आयोग के उपाध्यक्ष प्रणव मुखर्जी ने मुंगेर में पुल इस पुल को बनाने का फैसला मंजूर किया। नीतीश कुमार के रेल मंत्री रहते हुए इस पुल को स्‍वीकृत किया गया। फिर तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने इस पुल का शिलान्यास किया।
70 के दशक से तेज हुआ था आंदोलन
70 के दशक में पुल की मांग ने तब जोर पकड़ा। 1971 में इस पर के निर्माण के लिए आंदोलन ने रफ्तार पकड़ी। तब जाकर 1976 में रेल इंडिया टेक्निकल एंड इकोनॉमिक संस्था यहां सर्वे किया। टीम ने सर्वे रिपोर्ट में बताया कि मुंगेर भूकंप प्रभावित क्षेत्र है। यहां पुल का निर्माण मुश्किल और खर्चीला है। लेकिन बिहार की जनता ने पुल निर्माण के आंदोलन को जारी रखा। मुंगेर, बेगूसराय व खगड़िया के लोगों ने बेगूसराय के शालिग्रामी उच्च विद्यालय में बैठक हुई और आंदोलन को चलाने का फैसला लिया गया। नयी क्रांति का नया बिगुल, लक्ष्य हमारा गंगा पुल… के नारे के साथ साल 1988 में आंदोलन को नया रूप मिला। जिसके बाद अनवरत बाजार बंद, सड़क जाम सहित अन्य तरह के आंदोलन होने लगे। मुंगेर, बेगूसराय व खगड़िया में लोगों विरोध का और पुल निर्माण हर संभव प्रयास किया। न राजनीतिक पार्टियों के लोगों ने बल्कि स्कूली बच्चों ने भी प्रदर्शन में भाग लिया। युवाओं द्वारा रन फोर गंगा ब्रिज का आयोजन किया गया था। 1989 में जागृति की ओर से 9 व 10 अगस्त को दो दिवसीय जनता कर्फ्यू लगाया गया। तत्कालीन सांसद ब्रह्मानंद मंडल ने पहली बार 1991 में लोकसभा में मुंगेर में गंगा पर रेल सह सड़क पुल का मुद्दा उठाया था। रेल एवं भूतल परिवहन मंत्रालय से पुल निर्माण को लेकर लेटर लिखे गए। बावजूद उस वक्‍त की सरकार ने मुंगेर में गंगा पर पुल की मांग को अस्वीकार कर दिया। तब सांसद ने 13 सहयोगियों के साथ अक्‍टूबर 1994 में आमरण अनशन करते हुए सत्याग्रही आंदोलन मुंगेर में शुरू किया।
10वीं पंचवर्षीय योजना में शामिल हुआ का मुंगेर पुल
आमरण अनशन के 14वें दिन जार्ज फर्नांडिस ने तत्कालीन योजना आयोग के उपाध्यक्ष प्रणव मुखर्जी को पत्र लिख कर इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की। इसके बाद प्रणव मुखर्जी ने सांसद ब्रह्मानंद मंडल को पत्र लिख कर आमरण अनशन समाप्त करने का आग्रह किया और मुंगेर में रेल सह सड़क पुल निर्माण का लिखित आश्वासन भी दिया। इसके बाद केंद्र सरकार ने 10वीं पंचवर्षीय योजना में पुल निर्माण की परियोजना को शामिल किया। 15 अगस्त 2002 को प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने लाल किले से मुंगेर में पुल निर्माण की घोषणा की। 25 दिसंबर 2002 को दिल्ली से इस पुल का शिलान्यास किया।
2002 में हुआ था गंगा पुल का शिलान्यास, लोगों ने मनाई दिवाली
गंगा रेल सह सड़क पुल का शिलान्यास 26 दिसंबर 2002 को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने दिल्ली से ही रिमोट दबा कर किया था। वह दिन मुंगेर के लिए ऐतिहासिक था। तत्कालीन रेल मंत्री नीतीश कुमार शिलान्यास के मौके पर मुंगेर में मौजूद थे। शिलान्यास स्थल में जब शिलापट्ट से पर्दा हटाया गया तो लोगों की खुशी का ठिकाना न रहा। दशकों का संघर्ष जैसे सफल होता नजर आया। कहा जाता है मुंगेर में इस दिन दीपावली मनाई गई थी। आज फिर मुंगेर वासियों ने शुक्रवार की शाम दीपावली मनाने का निर्णय लिया है।

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Web Title : after decades of struggle, bihar got a bridge connecting munger and begusarai
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