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‘निषादों के असली नेता नहीं हैं मुकेश सहनी’
एमएलसी अर्जुन सहनी ने कहा कि मुकेश सहनी निषादों के असली नेता नहीं हैं। उन्होंने कहा कि जिस भाजपा और एनडीए ने मुकेश सहनी को सम्मान दिया, लोकसभा और विधानसभा चुनाव हारने के बाद भी उन्हें मंत्री पद दिया। उस मुकेश सहनी ने एनडीए के साथ गद्दारी की है।
उन्होंने कहा कि मुकेश सहनी उत्तर प्रदेश चुनाव लड़े और अब उन्होंने बोचहां विधानसभा उपचुनाव में अपना कैंडिडेट दे दिया है। इसके अलावा उन्होंने दरभंगा में एनडीए के घोषित प्रत्याशी के सामने भी अपना कैंडिडेट खड़ा कर दिया है। अर्जुन सहनी ने कहा कि इसी के जवाब में उन्होंने दरभंगा जिले की 309 पंचायतों के निषाद जन प्रतिनिधियों का सम्मेलन बुलाया है और यह साबित किया है कि निषादों का समर्थन मुकेश सहनी के साथ नहीं है। उन्होंने एनडीए के शीर्ष नेतृत्व से मुकेश सहनी को मंत्री पद से बर्खास्त करने और गठबंधन से बाहर निकालने की मांग की।
‘मुकेश सहनी को सीमाएं नहीं लांघनी चाहिए थी’
वहीं, सम्मेलन में शामिल दरभंगा नगर विधायक संजय सरावगी ने कहा कि निषाद समाज के नेता अर्जुन सहनी ने निषाद जन प्रतिनिधियों का सम्मेलन बुलाया है और इसमें बड़ी संख्या में निषाद जनप्रतिनिधि शामिल हुए हैं। उन्होंने कहा कि इसको देखते हुए यह समझा जा सकता है कि निषादों का नेता मुकेश सहनी हैं कि अर्जुन सहनी।
संजय सरावगी ने पत्रकारों के सवाल के जवाब में कहा कि मुकेश सहनी सारी सीमाएं लांघ कर प्रधानमंत्री और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ अपशब्दों का प्रयोग करते रहे। उन्होंने कहा कि मुकेश सहनी को सीमाएं नहीं लांघनी चाहिए थी।
बता दें कि वीआइपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुकेश सहनी पिछले विधानसभा चुनाव में महागठबंधन से अलग होकर एनडीए में शामिल हुए थे। एनडीए में उनकी पार्टी के 3 विधायक हैं। हालांकि वे सभी भाजपा के नेता थे जो वीआईपी के सिंबल पर चुनाव लड़े थे। मुकेश सहनी एनडीए में एमएलसी चुनाव में कई सीटों पर दावेदार थे लेकिन उन्हें एनडीए ने एक भी टिकट नहीं दिया। इससे नाराज होकर उन्होंने विधान परिषद की कई सीटों के अलावा मुजफ्फरपुर के बोचहां विधानसभा उपचुनाव में अपना प्रत्याशी उतार दिया है। इससे एनडीए में उनके खिलाफ नाराजगी है। इसी को देखते हुए एनडीए ने उनके खिलाफ गोलबंदी शुरू कर दी है।
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