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विधायक मुरारी मोहन झा- स्टेशन डायरी लाइए न… यहां बैठे हुए हैं न…प्रेस वाले लोग हैं… देखेंगे न?
केवटी थाने का स्टाफ- स्टेशन डायरी प्रेस में नहीं दिखाया जाता है।
विधायक मुरारी मोहन झा- हम देखेंगे न उसको…स्टेशन डायरी। आप एंट्री किए कि नहीं…कोई कांड होता है तो उसका एंट्री थाना में होता है कि नहीं होता है?
केवटी थाने का स्टाफ- होता है सर।
विधायक मुरारी मोहन झा- कहां है वो…स्टेशन डायरी।
केवटी थाने का स्टाफ- आ रहा है सर।
विधायक मुरारी मोहन झा- लाइए…यहां लाइए…हमारे पास। क्या दिक्तत है…कोई दिक्कत है? कौन है मैनेजर यहां का? बुलाओ…कौन है यहां थाना का मैनेजर?
केवटी थाने का स्टाफ- अभी नहीं हैं सर।
विधायक मुरारी मोहन झा- कोई नहीं है…कौन है इंचार्ज स्टेशन डायरी का?
आखिर केवटी थाने में क्यों पहुंचे BJP MLA?
दरअसल, केवटी रनवे पुरानी टोला के राजीव सहनी अपनी बहन की इलाज के लिए सीएचसी अस्पताल गए थे। किसी बात को लेकर डॉक्टर से बहस हो गई। उस समय डॉ कासिम अहमद और डॉ इकबाल रसीद ड्यूटी पर थे। डॉक्टर ने पुलिस को फोन कर बुला लिया। फिर पुलिस राजीव सहनी को थाना ले गई। राजीव का छोटा भाई कृष्णा जब थाने पहुंचा तो केवटी पुलिस ने दोनों को लॉकअप में बंद कर दी। भाइयों ने पिटाई का आरोप लगाया। अब इलाज के लिए इन दोनों भाइयों को भी सीएचसी अस्पताल लाया गया। लेकिन सिटी स्कैन कराने के लिए डीएमसीएच रेफर कर दिया गया। इस घटना की जानकारी विधायक मुरारी मोहन झा को मिली। थाने पहुंचकर पीड़ितों से प्रशासन के सामने ही पूछताछ की। हालांकि केवटी थानाध्यक्ष शिव कुमार यादव पिटाई से इंकार करते रहे। पूरी घटना पर विधायक ने नाराजगी जाहिर की और केस डायरी की मांग करने लगे।
मुरारी मोहन झा का सियासी कद जानिए
बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में जिस सीट पर सबसे पहले नतीजे सामने आए, वो केवटी ही था। बीजेपी के मुरारी मोहन झा ने आरजेडी के कद्दावर नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी को यहां करीब 4890 मतों से हराया था। एनडीए गठबंधन में सीट बंटवारे में पहले केवटी विकासशील इंसान पार्टी (VIP) को दी गई थी। बीजेपी ने पहले दरभंगा में एक भी ब्राह्मण को टिकट नहीं दिया था। दवाब के बाद पार्टी ने वीआईपी से ये सीट लेकर मुरारी मोहन झा को उम्मीदवार बनाया। मुरारी मोहन झा को सिद्दीकी जैसे कद्दावर नेता के सामने एक कमजोर उम्मीदवार के तौर पर देखा जा रहा था, लेकिन बीजेपी का इस सीट पर मैजिक चल गया और मुरारी मोहन झा ने पूरे बिहार में सबसे पहले इस विधानसभा चुनाव में जीत का स्वाद चखा। मुरारी मोहन झा पहली बार विधानसभा पहुंचे हैं।
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