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उदाकिशुनगंज पीएचसी प्रभारी पर लगे गंभीर आरोप
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
बिहार में मधेपुरा जिले के उदाकिशुनगंज पीएचसी प्रभारी का हैरान करने वाला कारनामा सामने आया है। अमर उजाला के हाथ लगे दस्तावेजों के मुताबिक, उन्होंने अपनी पत्नी का एक ही दिन में दो जगह प्रसव कराया है। एक जगह नॉर्मल डिलवरी दिखाई गई है, वहीं दूसरी जगह ऑपरेशन कर बच्चे का जन्म कराने की बात लिखी है। यह बात अटपटी जरूर लग रही होगी। लेकिन कागज यही दिखा रहे हैं और लोग तो इससे भी बड़े आरोप लगा रहे हैं।
आरोप है कि उदाकिशुनगंज के पीएचसी प्रभारी डा. रूपेश कुमार और स्वास्थ्य प्रबंधक संजीव कुमार वर्मा मिलजुल कर अस्पताल में मनमानी कर रहे हैं। बीते दिनों यहां की कई नर्सों ने सिविल सर्जन और अन्य वरीय अधिकारियों के खिलाफ लिखित शिकायत भी की थी। अभी नर्सों के बीच का विवाद खत्म भी नहीं हुआ था कि फर्जीवाड़े का एक नया मामला सामने आ गया है।
साक्ष्यों के मुताबिक, प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डा. रूपेश कुमार ने अपनी पत्नी सोनाली सिंह को प्रसव के लिए 12 फरवरी 2023 को भागलपुर के सीएनएम हास्पिटल में भर्ती कराया था। जहां ऑपरेशन के बाद उन्होंने बच्चे को जन्म दिया। भागलपुर के इस निजी अस्पताल से उन्हें 15 फरवरी 2023 को डिस्चार्ज किया गया था। इस अस्पताल में मरीज सोनाली सिंह की आईडी सीएनएम 3429 और बेड संख्या आईसीयू पांच है। उनकी उम्र 24 साल दर्शाई गई है। वहां पर डा. सांत्वना कुमारी के नेतृत्व में मरीज का प्रसव हुआ। प्रसव के बाद मरीज को जरूरी दवाइयां और जरूरी निर्देश देकर छुट्टी दे दी गई। जबकि डा. रूपेश कुमार प्रभारी चिकित्सा अधिकारी उदाकिशुनगंज ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए फर्जीवाड़े का बड़ा खेल किया। इसके पीछे प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी की मंशा जो भी रही हो, वह किसी गड़बड़ी से कम नहीं है।
साक्ष्यों के मुताबिक, चिकित्सक ने पत्नी सोनाली सिंह को उदाकिशुनगंज के सरकारी अस्पताल के प्रसव पंजी में भी नाम दर्ज करा दिया। उदाकिशुनगंज के अस्पताल के पंजी पर प्रसव मरीज सोनाली सिंह का नाम, पति का नाम और उम्र वही है। अस्पताल का क्रमांक 4076, माह क्रमांक 163 और निबंधन संख्या 3912 दिनांक 12 फरवरी 2023 लिखी है। मरीज का पता उदाकिशुनगंज लिखा गया है।
इस बारे में प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डा. रूपेश कुमार ने बताया कि यह सही है कि भागलपुर के निजी अस्पताल में उनकी पत्नी का प्रसव हुआ है। लेकिन उदाकिशुनगंज के अस्पताल में उन्होंने वैक्सिनेशन के लिए नाम दर्ज कराया। ताकि प्रसव के बाद यहां आने पर वैक्सिनेशन में कोई दिक्कत न हो। लेकिन चिकित्सा अधिकारी की सफाई गले नहीं उतर रही है।
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