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विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के अध्यक्ष और मंत्री मुकेश समेत कुल सात एमएलसी की विधानपरिषद सदस्यता इस साल 21 जुलाई को खत्म हो जाएगी। ये सभी निर्वाचन क्षेत्र से चुने गए थे। साहनी के अलावा, मोहम्मद कमर आलम, गुलाम रसूल, रणविजय कुमार सिंह, सी पी और रोजिना नाजीश और अर्जुन सहनी JDU से हैं। जहां रोजिना और मुकेश पिछले साल सितंबर और जनवरी में क्रमश: उपचुनावों में चुने गए थे, वहीं कमर, गुलाम, रणविजय, सिन्हा और अर्जुन सहनी जुलाई 2016 में चुने गए थे।
नतीजतन, एनडीए खेमे को तीन सीटों का नुकसान होगा। वहीं एनडीए को जिन चार सीटों पर जीत मिलेगी, उनमें से तीन बीजेपी के खाते में जाएंगी। उधर इस हिसाब से RJD के खाते में दो सीटें आएंगी जबकि बाकी वाम दलों या कांग्रेस के हिस्से आ सकती हैं।
मंत्री मुकेश सहनी की किस्मत बीजेपी की ‘दानवीरता’ पर
अब अगर अगर बीजेपी सहयोगी मुकेश सहनी के लिए एक सीट बचाती है, तो उसे केवल दो सीटें मिलेंगी। यानि कुल मिलाकर मंत्री मुकेश सहनी की किस्मत अब बीजेपी की दानवीरता की उम्मीद पर टिकी है। VIP वैसे तो NDA में 4 सीटों के साथ होने का दम दिखाती आई है लेकिन अपने मुखिया के मामले में ही पार्टी के हाथ तंग हैं। ऐसे में बीजेपी ही मुकेश सहनी के लिए पहली और आखिरी उम्मीद है।
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मई या जून में हो सकते हैं विधानपरिषद चुनाव
इन अपेक्षित रिक्तियों को भरने के लिए चुनाव आयोग के मई या जून में द्विवार्षिक चुनाव होने की उम्मीद है। संभावित उम्मीदवारों ने अपने-अपने पार्टी के उम्मीदवार बनने के लिए पहले से ही पैरवी शुरू कर दी है। विधायक ही विधानसभा क्षेत्रों से एमएलसी का चुनाव करते हैं। राज्य परिषद के कुल 27 सदस्य विधानसभा क्षेत्रों से चुने जाते हैं। उनमें से 11 की सदस्यता 6 मई, 2024 को और बाकी की नौ 28 जून, 2026 को खत्म हो जाएगी।
बिहार विधानपरिषद में ऐसे बंटेंगी सीटें
नियमों के मुताबिक विधानसभा क्षेत्रों से एक एमएलसी का चुनाव करने के लिए कम से कम 31 विधायकों के वोटों की जरूरत होगी। राज्य विधानसभा में पार्टी की मौजूदा स्थिति के अनुसार NDA के 127 सदस्य चार सीटें जीत सकते हैं, जबकि बाकी तीन विपक्षी महागठबंधन में जाएंगे।
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