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क्या अब होगाबिहार एमएलसी चुनाव में खेला!
लालू की भूमिका के बारे में ऐसे समझिए कि तेजस्वी को हर मोर्चे पर पार्टी के असंतुष्टों के साथ बड़े भाई तेजप्रताप से भी जूझना पड़ रहा है। ऐसे में उनके लिए कई दफे फैसले लेना कठिन हो जाता है। सूत्र बताते हैं कि अक्सर तेजस्वी को बड़े मामलों में लालू के दखल की जरूरत पड़ती है। खासतौर पर जब तेजप्रताप उनके खिलाफ खड़े होते हैं तो तेजस्वी के पास लालू से बड़ा कोई हथियार नहीं होता।
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तेजस्वी को अभी लालू की सबसे ज्यादा जरूरत
दूसरी अहम बात, लालू के मुकाबले सियासत में तेजस्वी कहीं नहीं ठहरते। लालू का अनुभव, उनके दांव-पेंच समय के साथ बदलते रहते हैं या यूं कहिए कि कब क्या दांव चलना है, ये लालू के अलावा कोई जान भी नहीं सकता। पॉलिटिक्स की नब्ज पकड़ने में लालू का अनुभव ही उन्हें RJD के लिए खास बना देता है। सूत्रों का कहना है कि इस बार तेजस्वी को बजट सत्र से लेकर विधानपरिषद चुनाव में पार्टी को चलाने में मुश्किल पेश न आए, इसीलिए लालू पटना आए हैं। कहने को लालू सदन से बाहर रहेंगे, लेकिन RJD की सारी सियासत उनके दिमाग से तय होकर ही विधानसभा और विधानपरिषद में पहुंचेगी। आने वाले दिनों में इसका नजारा भी दिख जाएगा।
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लालू इस ‘खेल’ के हैं माहिर
बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के ठीक बाद एक ऑडियो जबरदस्त रूप से वायरल हुआ। इस फोन कॉल को वायरल करने वाले पीरपैंती के BJP विधायक ललन पासवान ने दावा किया था कि लालू ने उन्हें जेल से कॉल किया और बिहार विधानसभा के स्पीकर के चुनाव के दौरान सदन से गैरहाजिर रहने को कहा। आप ये वायरल फोन कॉल यहां क्लिक करके सुन सकते हैं। वैसे भी ये कहा जाता है कि जब सियासी जोड़-तोड़ की बात आती है तो लालू को इस खेल का सबसे माहिर खिलाड़ी माना जाता है।
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क्या लालू खेलेंगे तेजस्वीके लिए सबसे बड़ा दांव?
ये पहली बार है जब विधानपरिषद चुनाव में तेजस्वी ने अपने सबसे बड़े सहयोगी कांग्रेस को किनारे लगा दिया है। 24 में से 23 सीटों पर आरजेडी खुद ताल ठोक रही है जबकि एक दूसरी सहयोगी सीपीआई के लिए छोड़ी गई है। बिहार विधानसभा उपचुनाव की दो सीटों तारापुर और कुशेश्वर स्थान में भी आरजेडी ने यही किया था। लिहाजा कांग्रेस ने सभी 24 सीटों पर अकेले लड़ने की तैयारी शुरू कर दी है। ऐसे में तेजस्वी के लिए विधानपरिषद चुनाव आसान नहीं होगा, क्योंकि कांग्रेस जीतने का ना सही लेकिन हराने का काम कर सकती है। ऐसे में लालू तेजस्वी के लिए अपना सबसे बड़ा दांव खेल सकते हैं, जो मैनेज करने का है। अब कांग्रेस को लालू कैसे मैनेज करेंगे, यही इस ‘सियासी खेल’ का सबसे बड़ा सवाल है।
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