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मेराज आलम आरजेडी के नेता हैं। उन्होंने साल 2000 में पार्टी की सदस्यता ग्रहण की थी और मधुबनी में ही राजनीति करने लगे। 2011 में पहली बार पंचायत चुनाव में आए और खुटौना प्रखंड में पंचायत समिति के पद पर विजयी हुए। इसके बाद राजनीति में लगातार आगे बढ़ते गए और 2016 में जिला परिषद के वाइस चैयरमैन बनें। फिर 2021 के पंचायत चुनाव में जीत हासिल कर फिलहाल खुटौना के प्रमुख पद पर हैं। अब आरजेडी ने मेराज आलम को विधान परिषद चुनाव में उतारा है।
मेराज आलम के सामने क्या है सबसे बड़ी चुनौती?
आरजेडी उम्मीदवार मेराज आलम की राह मधुबनी में इतनी आसान भी नजर नहीं आ रही। उनकी उम्मीदवारी के खिलाफ पार्टी के ही पूर्व विधायक ने बगावत कर दी है। जदयू ने भी अपने उम्मीदवार विनोद सिंह को चुनावी मैदान में उतारा है। विनोद सिंह पहले भी एक बार चुनाव जीतकर विधान परिषद जा चुके हैं। हालांकि बीजेपी से विधान परिषद रहे सुमन महासेठ के भी चुनावी मैदान में आने की चर्चा जोरों पर चल रही। कांग्रेस ने भी अपने उम्मीदवार सुबोध मंडल को चुनाव मैदान में उतारा है।
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आरजेडी ने मेराज पर ही क्यों खेला दांव
मेराज आलम से जब पूछा गया कि आपको ही आरजेडी ने मैदान में क्यों उतारा तो उन्होंने कहा कि जिले के पंचायत प्रतिनिधियों की ये मांग थी। मेराज आलम ने कहा कि जिले के पंचायत प्रतिनिधियों की डिमांड के बाद पार्टी ने उनके बीच से ही उम्मीदवार देने का काम किया। इसलिए पार्टी ने उन पर भरोसा जताया, उनकी कोशिश होगी कि वो इसमें सफल हो सकें।

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