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पटना. बिहार में स्थानीय निकाय चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी गई हैं. चुनाव की तिथियों की घोषणा अभी तक नहीं हुई है, लेकिन अन्य दूसरी तैयारियां शुरू कर दी गई हैं. राज्य निर्वाचन आयोग मतदाता सूची को अपडेट करने में जुटा है तो वहीं चुनाव में तैनात होने वाले कर्मचारियों का भत्ता भी तय कर दिया गया है. बिहार में शहरी निकायों के निर्वाचित बोर्ड का कार्यकाल पूरा हो चुका है, लेकिन अभी तक चुनाव की तारीख का ऐलान नहीं किया गया है. चुनाव से जुड़ी तैयारियां मुकम्मल होने के बाद तारीखों की घोषणा होने की संभावना है.
दरअसल, बिहार में शहरी निकायों के निर्वाचित बोर्ड का कार्यकाल पूरा हो चुका है, लेकिन अभी तक चुनाव की तारीख का ऐलान नहीं किया गया है. हालांकि, चुनाव की तैयारी शुरू हो गई है. राज्य निर्वाचन आयोग मतदाता सूची को दुरुस्त करने में जुटा है. नगर विकास एवं आवास विभाग ने नगरपालिका चुनाव में लगाए जाने वाले मतदान कर्मियों का भत्ता तय कर दिया है. इसके साथ ही चुनावी जरूरतों के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले वाहनों का दैनिक मुआवजा दर भी तय कर दिया गया है. विभाग की ओर से सभी प्रमंडलीय आयुक्त, जिला पदाधिकारी और नगर आयुक्त के साथ कार्यपालक पदाधिकारियों को इसे लेकर पत्र लिखा गया है.
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मतदान कर्मियों के लिए भत्ता तय
नगर निकाय चुनाव में पीठासीन पदाधिकारियों और मतगणना पर्यवेक्षकों को 500 रुपये, मतदान अधिकारियों और सहायक को 375 रुपये और चतुर्थ वर्गीय कर्मचारियों को 250 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से भुगतान किया जाएगा. पुलिस निरीक्षक और अवर निरीक्षकों को 500 रुपये प्रतिदिन, हवलदार और सिपाहियों को 375 रुपये और चौकीदार, दफादार और एनसीसी कैडेट को 250 रुपये प्रतिदिन की दर से भुगतान किया जाएगा. सेक्टर और जोनल पदाधिकारी के साथ ही गश्ती दल मजिस्ट्रेट को प्रशिक्षण के दौरान 500 प्रतिदिन, जबकि मतदान और मतगणना कार्य के लिए 2000 रुपये एकमुश्त दिए जाएंगे. मतदान और मतगणना स्थल पर प्रतिनियुक्त चुनाव कर्मियों और सुरक्षाकर्मियों के भोजन के लिए भी अधिकतम 250 रुपये प्रतिदिन की दर से खर्च किया जाना है.
वाहन स्वामियों को मुआवजा के साथ ईंधन की राशि
वाहन स्वामियों को मुआवजा के साथ ही ईंधन की राशि भी दी जाएगी. चुनाव की तारीखों के ऐलान तक शहरी निकायों का सारा कामकाज प्रशासक संभालेंगे या फिर प्रशासक पार्षद, इसको लेकर असमंजस की स्थिति कायम है. नए शहरी निकायों में यह जिम्मेदारी प्रशासन को दी गई है, लेकिन पुराने शहरी निकाय (जिनका कार्यकाल हाल ही में समाप्त हुआ है) की जिम्मेदारी प्रशासक पार्षद को देने की मांग की जा रही है. इसे लेकर पटना नगर निगम समेत कई निकायों के मेयर और डिप्टी मेयर मुख्य उपमुख्यमंत्री तारकेश्वर प्रसाद से भी मिल चुके हैं.
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प्रथम प्रकाशित : 30 जून 2022, 08:44 AM IST
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