[ad_1]
नीतीश कुमार
– फोटो : ANI
ख़बर सुनें
विस्तार
सुप्रीम कोर्ट ने बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में नीतीश कुमार की नियुक्ति को चुनौती देने वाली एक याचिका को खारिज कर दिया। इसमें कहा गया था कि नीतीश की पार्टी ने अगस्त में एक नया गठबंधन बनाया था, जो चुनाव के बाद बनाया गया था और ये दलबदल विरोधी कानून के तहत आता है। न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश की पीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया, जिसमें कहा गया था कि नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जद (यू) द्वारा ‘महागठबंधन’ बनाकर बिहार में मतदाताओं के साथ धोखाधड़ी की गई है।
नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री के पद से हटाने की मांग की गई थी
बिहार के मुजफ्फरपुर के एक निवासी द्वारा दायर याचिका में नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री के पद से हटाने की मांग की गई थी, जिसमें दावा किया गया था कि उनकी नियुक्ति संविधान के कुछ प्रावधानों का पूरी तरह से उल्लंघन है। पीठ ने 7 नवंबर को पारित अपने आदेश में कहा कि दलबदल विरोधी कानून और यहां तक कि 10 वीं अनुसूची के प्रावधानों के तहत कुछ शर्तों के अधीन चुनाव के बाद के गठबंधन की अनुमति है। इसलिए इस रिट याचिका में कोई सार नहीं है और खारिज करने योग्य है।
याचिका में संसद को एक उचित कानून बनाने का निर्देश देने की मांग की गई थी ताकि चुनाव पूर्व गठबंधन पैसे और सत्ता लोभी नेताओं की नीति न बन जाए जो अपने व्यक्तिगत लक्ष्यों को पूरा करने के लिए अपनी पार्टी के राजनीतिक विचारधारा को दरकिनार कर देते हैं। 10 अगस्त को नीतीश कुमार ने बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी और भाजपा का साथ छोड़ दिया था। अब वह राजद और कांग्रेस के साथ गठबंधन में शासन कर रहे हैं। जद (यू) के प्रमुख नीतीश कुमार ने रिकॉर्ड आठवीं बार शपथ ली थी।
[ad_2]
Source link