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Bihar Caste Census Politics: बिहार में शनिवार ( 7 जनवरी ) से जातीय जनगणना का काम शुरू हो चुका है। दो चरणों में होने वाले जातीय जनगणना में उप जातियों को शामिल नहीं किए जाने पर बीजेपी ने नीतीश कुमार पर हमला बोला है। बिहार सरकार द्वारा कराए जा रहे जातीय जनगणना पर सवाल उठा दिया है।
हाइलाइट्स
- क्या बिहार में अगली लड़ाई ‘कमंडल’ बनाम ‘मंडल’ होगी?
- जातीय जनगणना में उपजाति को नहीं जोड़ने पर बीजेपी नाराज
- बीजेपी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बताया ‘झूठा’
- बीजेपी पूछी- जातीय जनगणना में 7 महीने की देरी क्यों?
नालंदा में नीतीश की जाति की उपजाति भी उनके साथ नहीं : डॉ संजय जायसवाल
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष और बेतिया से लोकसभा सांसद डॉ संजय जायसवाल ने कहा की नीतीश कुमार को बताना चाहिए कि वह किस प्रकार की जातीय जनगणना करा रहे हैं। जातीय जनगणना के शुरू होने के बाद मुख्यमंत्री का यह बयान आना कि इसमें उप जातियों की गणना नहीं की जाएगी, यह समझ से परे है। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा में उनकी जाति के उपजाति की संख्या 5 फीसदी से भी कम है, इसलिए नीतीश कुमार डरे हुए हैं। यही वजह है कि वह बिहार में चल रहे जाति जनगणना में उप जातियों की गणना नहीं करा रहे। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि बिहार में जातीय जनगणना हरियाणा मॉडल के तहत किया जाना चाहिए।
जातीय जनगणना में 7 महीने की देरी क्यों : सुशील मोदी
सुशील मोदी ने पूछा की जातीय जनगणना कराने नीतीश सरकार को 7 महीने का समय क्यों लगा। सुशील मोदी ने कहा कि 2 जून 2022 को कैबिनेट की बैठक में जातीय जनगणना कराने का फैसला लिया गया था। सुशील मोदी के सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि पहले तो लोगों को ट्रेनिंग देने की जरूरत है। लोगों को ट्रेनिंग दी गई और अब वह लोग जातीय गणना करने के लिए निकल चुके हैं।
कैसे होगी जातीय जनगणना
जातीय जनगणना के पहले चरण में केवल मकानों की गिनती की जाएगी। दूसरे चरण में जातियों की गिनती कर डाटा जुटाया जाएगा। पहले चरण में मकानों की नंबरिंग और आवासीय मकानों की गिनती की जाएगी। मकानों पर भवन संख्या में मकान संख्या लिखे जाएंगे। मकान का इस्तेमाल किस उद्देश्य के लिए किया जा रहा है, यह भी नोट किया जाएगा। घर की मुखिया का नाम और परिवार के सदस्य के नाम को भी नोट किया जाएगा और घर के सदस्य बाहर रह रहे हैं तो उनकी संख्या को भी रजिस्टर में लिखा जाएगा। इसके अलावा, घुमंतू लोगों की भी यानी जिनके पास घर नहीं है, उनकी भी गिनती की जाएगी। इस सर्वे में जाति और आर्थिक, दोनों सवाल किए जाएंगे। लोगों से शिक्षा का स्तर, नौकरी, गाड़ी, मोबाइल, और के साथ और परिवार में कमाने वाले सदस्य की संख्या जानकार डेटा जुटाया जाएगा। जाति जनगणना का कार्य पूरा करने के लिए बिहार सरकार ने शिक्षकों और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं समेत 2 लाख लोगों को ड्यूटी पर लगाया है। जातीय जनगणना का काम मई 2022 तक पूरा होने की उम्मीद है। इस पर करीब 500 करोड़ रुपये खर्च होंगे।
क्या मंडल बनाम कमंडल के आधार पर होगा बिहार का चुनाव ?
शुक्रवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि 1 जनवरी 2024 को अयोध्या में भव्य राम मंदिर बनकर तैयार हो जाएगा। अमित शाह के इस बयान के बाद आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने भगवान राम को लेकर यह बयान दिया कि भगवान अब लोगों के दिल से निकल कर पत्थरों के बीच स्थापित होकर रह जाएंगे। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का 6 जनवरी को बयान आया था और 7 जनवरी से बिहार में जातीय जनगणना का काम शुरू कर दिया गया। अब सवाल यह उठता है कि क्या मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनाव के लिए मंडल के आधार पर राजनीति करना चाहते हैं ? क्या एक बार फिर बिहार में जाति आधारित चुनाव देखने को मिलेगा ? क्या बीजेपी द्वारा राम के नाम पर हिंदुओं को एकजुट करने की कोशिश यानी कमंडल की राजनीति की शुरुआत फिर से की जा रही है। उसके काट में विपक्षी दलों द्वारा मंडल की राजनीति की तैयारी की जा रही है ?
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