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सामाजिक-आर्थिक जातीय जनगणना
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
बिहार में 15 अप्रैल से जातिगत जनगणना शुरू होगी तो 17 सवाल पूछे जाएंगे। इन सवालों में से 15 का कोड तय हुआ है। धर्म-जाति से लेकर पढ़ाई-कमाई का भी कोड है। यह कोड तो जनगणना कर्मियों के काम की चीज है, लेकिन रोचक यह है कि इस जनगणना में ‘अ’धर्म का भी कोड है। कई बहुसंख्यक जातियों का कोड तीन अंकों में है, जबकि कम जनसंख्या वालों का कोड एक या दो अंकों में है। पहले-दूसरे नंबर के कोड की जाति अगरिया और अघोरी है। क्या पता, आपने इन शब्दों का नाम जातियों के रूप में सुना हो! और हां, अ’जाति’ का भी कोड है। मतलब, आपकी जाति न हो या सरकार को भी इससे पहले आपकी जाति का नाम पता नहीं हो तो उसके लिए अलग कोड का प्रावधान है।
धर्म के लिए आठ, परिवार के लिए नौ कोड
जातिगत जनगणना में हिंदू धर्म को कोड 1 मिला है। इसके बाद इस्लाम, ईसाई, सिख, बौद्ध और जैन धर्म का क्रमश: छह तक नंबर है। इससे इतर कोई अन्य धर्म बताते हैं तो जनसंख्या कर्मी कोड 7 लिखेंगे और अगर धर्म नहीं है- बताते हैं तो कोड 08 लिखा जाएगा। इसी तरह, परिवार के सदस्यों के लिए भी अलग-अलग कोड है। परिवार के मुखिया का कोड 1 है, पति-पत्नी के लिए 02, पुत्री-पुत्र के लिए 03, पोती, नातिन, पोता, नाती के लिए 04, माता-पिता के लिए 05, भाई-बहन के लिए 06, दादी, नानी या दादा, नानान के लिए 08 और सास-ससुर के लिए कोड 09 रखा गया है। परिवार के मुखिया के हिसाब से उस मकान में रहने वाले परिवार के बाकी सदस्यों के कोड दिए जाएंगे।
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