[ad_1]
बेगूसराय का AQI 399, बक्सर (362), समस्तीपुर (357), कटिहार (355), पूर्णिया (348), सहरसा (326), मुजफ्फरपुर (322), भागलपुर (319) और छपरा का 317 दर्ज किया गया। पटना का समग्र एक्यूआई छह वायु निगरानी स्टेशनों की रीडिंग पर आधारित था, जिनमें से पटना सहित पांच ‘बहुत खराब’ श्रेणी में थे। पटना सिटी में 341, बीआईटी-मेसरा (320), इको पार्क (320), डीआरएम कार्यालय-खगौल (309) और तारामंडल (304) रिकॉर्ड किया गया। वहीं एसके मेमोरियल हॉल में एक्यूआई को 290 दर्ज किया गया। शून्य से 50 के बीच एक्यूआई को ‘अच्छा’, 51-100 को ‘संतोषजनक’, 101-200 को ‘मध्यम’, 201-300 को ‘खराब’, 301-400 को ‘बेहद खराब’ और 401-500 को ‘गंभीर’ माना जाता है।
बिहार में बीमारियां बढ़ाने वाला AQI
CPCB के अनुसार, गंभीर AQI स्तर स्वस्थ लोगों को प्रभावित कर सकता है और मौजूदा बीमारियों वाले लोगों को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है, जबकि बहुत खराब वायु गुणवत्ता लंबे समय तक संपर्क में रहने पर श्वसन संबंधी बीमारियों का कारण बन सकती है। बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (बीएसपीसीबी) के वरिष्ठ वैज्ञानिक और वायु प्रदूषण विशेषज्ञ अरुण कुमार ने कहा कि जलोढ़ मिट्टी और बाढ़ के पानी के घटने के बाद गाद जमा होने जैसे भौगोलिक कारणों के अलावा तापमान में लगातार उतार-चढ़ाव बिहार में बिगड़ते वायु प्रदूषण के कारणों में से एक है।
इन वजहों से बढ़ा प्रदूषण
विशेषज्ञ अरुण कुमार के मुताबिक ‘सड़कों पर वाहनों की आवाजाही भी बढ़ गई है और अधिक निर्माण कार्य चल रहे हैं, जिससे हवा की गुणवत्ता खराब हो रही है। सर्दियों के समय में तापमान उलटाव की स्थिति में प्रदूषण होने की संभावना अधिक होती है। इन सबके बावजूद, हम बिहार में प्रदूषण की स्थिति की निगरानी कर रहे हैं और इस प्रथा को हतोत्साहित करने के लिए पराली जलाने पर नजर रख रहे हैं।’
[ad_2]
Source link