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पुलिस जिप्सी में बैठाए जाने के बावजूद लोग इन्हें घेरे थे।
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
सिविल ड्रेस में हथियार लेकर छापेमारी के लिए जाना बिहार में कितना खतरनाक हो सकता है, यह स्पेशल टास्क फोर्स (STF) के दो जवानों को पता चला गया होगा। बेगूसराय जिले के गढ़पुरा में लोगों ने इन्हें पकड़ा तो एक नहीं सुनी। जो सामने पड़ा, पीटता रहा। वह बोलते रहे कि एसटीएफ के जवान हैं, किसी ने नहीं सुना। पीटते-पीटते थक गए, तब गढ़पुरा थाने को किसी ने अपराधियों के पकड़ने की सूचना दी। पुलिस पहुंची तो जवानों को अस्पताल ले गई।
बड़ा कांड करने आए हैं, यह सोच दबोचा
गुरुवार दोपहर बाद एसटीएफ के दोनों जवान सिविल ड्रेस में किसी अपराधी को पकड़ने के लिए सकरा गांव के पास गए थे, लेकिन उसे नहीं पकड़ सके और खुद पकड़ा गए। स्थानीय लोगों ने बताया कि एक मोटरसाइकिल पर सवार दो लोग यहां पर पहुंचे थे। दोनों के पास हथियार था। अपराध की घटनाओं के कारण परेशान लोगों ने उनकी एक नहीं सुनी और दोनों के पास हथियार देखकर मान लिया कि यह अपराधी किसी बड़े कांड के लिए आए हैं। लोगों ने जमकर पीटना शुरू कर दिया। एक बात नहीं सुनी। बाद में पहुंची गढ़पुरा पुलिस दोनों जवानों को छुड़ाकर ले गई। गढ़पुरा पुलिस ने बताया है कि एसटीएफ जवान को गुप्त सूचना मिली थी कि सकरा गांव में कुछ अपराधी छिपे हैं।
अपराध के खिलाफ लोग फिर खुद उग्र
इसके कुछ ही घंटे बाद राजधानी पटना भीड़ ने चेन छीनकर भाग रहे एक युवक को बुरी तरह पीट दिया। बिहार में अपराध की घटनाएं बढ़ने के बाद भीड़ के उग्र होने का मामला सामने आता रहता है। कोरोना काल के पहले एक लगातार बिहार में भीड़ के हाथों पड़कर कई लोगों की जान चली गई थी। एक-दो मामलों में मानसिक दिव्यांग को भी भीड़ ने इसी तरह पीट दिया था। मानसिक दिव्यांग को पिछले महीने भी भीड़ ने इसी तरह अपराधी बताकर पीट दिया था।
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