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मुबारकपुर को पुलिस ने छावनी के रूप में बदला, हर तरफ से किया सील।
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
सारण के मांझी थाना क्षेत्र में मुबारकपुर में तनाव के कारण इस ओर जाने वाले रास्ते सीलबंद कर दिए गए हैं। बाहरी लोगों के आने-जाने पर रोक लगा दी गई है। चार किलोमीटर के दायर में धारा 144 लगा दी गई है। शाम 7 बजे से इंटरनेट बंद करने की भी तैयारी थी, लेकिन पूरी तरह से इसे नहीं बंद किया गया है। सोशल मीडिया पोस्ट, शेयर, मैसेज या अपलोड पर पूरे सारण जिले में पाबंदी लगा दी गई है। 23 सोशल मीडिया पर 8 फरवरी की सुबह तक के लिए अस्थायी रोक लगाते हुए इस इलाके में जातीय उन्माद फैलाने के आरोप में कई ग्रुप एडमिन पर प्राथमिकी भी दर्ज की गई है। बिहार के एडीजी, सारण प्रक्षेत्र के डीआईजी ,एसपी, डीएम समेत अन्य अधिकारियों ने गांव पहुंचकर दोषियों पर हर हाल में कारवाई की बात कहीं। मुबारकपुर के मुखिया का पक्ष लेने के लिए मांझी के थानाध्यक्ष देवानंद कुमार पर आरोप लग रहा था, वह भी हटा दिए गए हैं। स्थिति तनावपूर्ण किंतु नियंत्रण में है। अभी मॉब लिंचिंग कर हत्या करने के सभी आरोपी गिरफ्त में नहीं आए हैं, जिसके कारण मृतक पक्ष के लोग शांत नहीं हो रहे हैं। मॉब लिंचिंग कर मारे गए अमितेश कुमार सिंह की ओर से जुटे राजपूत पक्ष के लोगों ने रविवार को मुबारकपुर के सिधवरिया टोला में जमकर आगजनी की थी। कच्चे घरों को आग लगा दी गई थी। पक्के मकानों पर भी हमला किया गया था। अनाज जला दिए गए थे। खौफ के कारण रविवार शाम तक इस टोले के पुरुष गांव छोड़कर फरार थे।
जातीय विद्वेष से ही घटना की शुरुआत
सारण जिले के मांझी के मुबारकपुर में 2 फरवरी को तीन युवकों को मुखिया पर फायरिंग का आरोप लगाकर बुरी तरह पीटा गया था। पीटे गए तीनों राजपूत जाति के थे और पीटने वाले यादव। तभी से इसमें जातीय हिंसा की आशंका बन रही थी। शुक्रवार को अमितेश कुमार सिंह की मौत के बाद रविवार को सैकड़ों लोगों ने हत्याकांड के आरोपी मुखिया पति विजय यादव के घर पर और पूरे इलाके में जमकर तांडव किया। कई ट्रैक्टर, मोटरसाइकिल, ट्रक आदि के साथ लोगों को कच्चे घर और फसलों को आग के हवाले कर दिया था। आगजनी के बाद शाम में सारण पुलिस कप्तान गौरव मंगला के नेतृत्व में काफी संख्या में पुलिस बल छपरा से पहुंच गई। जातीय तनाव की स्थिति को देखते हुए पुलिस ने पूरे इलाके को सील कर दिया। सोमवार को भी तनाव की स्थिति बनी रही, क्योंकि कुछ जातीय संगठन मृतक के पक्ष में एकजुट होते दिखे तो दूसरी तरफ आगजनी के खिलाफ भी जातीय संगठनों ने सक्रिय होना शुरू कर दिया था।
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